बरेली: मौसम में उतार-चढ़ाव से बढ़ी रतुआ रोग की आंशका, किसानों को जारी की गई गाइडलाइन

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार मौसम में उतार चढ़ाव से फसलें हुई प्रभावित

बरेली: मौसम में उतार-चढ़ाव से बढ़ी रतुआ रोग की आंशका, किसानों को जारी की गई गाइडलाइन

बरेली, अमृत विचार। कृषि वैज्ञानिकों ने बीते पश्चिमी विक्षोभ के चलते हुए उतार चढ़ाव को देखते हुए किसानों के लिए गेंहू में लगने वाले रतुआ रोग के लिए गाइडलाइन जारी की गई। गेहूं में पीला रतुआ रोग के लिए अनुकूल बताते हुए किसानों को सावधानी बरतने की सलाह दी है।

कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डा. रंजीत सिंह ने बताया कि कुछ दिनों से क्षेत्र में बादल छाए रहने और हवा में नमी की स्थिति पीला रतुआ रोग के लिए अनुकूल है। किसान अपने खेतों में पीला रतुआ की नियमित निगरानी करें। पीला रतुआ ऐसे मौसम में फसलों को प्रभावित करने वाला एक कवक रोग है। कहा कि अगर समय रहते इस बीमारी पर ध्यान दिया जाए तो इस पर काबू पाया जा सकता है। इसके लिए खेतों की नियमित जांच जरूरी है।

उन्होंने कहा कि गेहूं की किस्में जो लंबे समय तक नहीं बदली जाती हैं, वे भी बीमारी के लिए अतिसंवेदनशील होती हैं। गेहूं की फसल में पीला रतुआ रोग के आने की संभावना रहती है। पत्तों पर छोटे, चमकदार पीले, गोल धब्बे बनते हैं। इन पत्तियों को छूने पर पीला पाउडर हाथ पर लगना इसका मुख्य लक्षण है। रोग प्रभावित खेत में जाने पर कपड़े पीले हो जाते हैं। यह रोग खेत में प्रारंभ में 10-15 पौधों में गोल दायरे में प्रारंभ होकर पूरे खेत में फैल सकता है।

केवीके प्रभारी डा. बीपी सिंह बताया कि रोग के लक्षण दिखाई देने पर प्रोपीकोनाजोल 25 ईसी या टेब्यूकोनाजोल 25 ईसी का 1 मिली प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें। रोग के प्रकोप एवं फैलाव को देखते हुए दूसरा छिड़काव 10-15 दिन के अंतर पर करें।

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