चित्रकूट में आदिवासी और लोक कलाओं के संवर्धन के लिए लोक लय समारोह शुरू
अमृत विचार, चित्रकूट। चित्रकूट के अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान के तत्वावधान में रविवार को एक दिवसीय लोक लय समारोह शुरू हुआ। इस एक दिवसीय कार्यक्रम में बुंदेलखंड के लोक कलाकार विलुप्त हो रही लोक संस्कृति को संजीवनी देने की कोशिश करेंगे।
संस्थान के संस्थापक संरक्षक गया प्रसाद गोपाल, जिन्हें गोपाल भाई के नाम से जाना जाता है, ने बताया कि यह आयोजन 2005 से लगातार हो रहा है। कोरोना काल की वजह से दो साल यह क्रम बाधित हुआ था। इस कार्यक्रम के पीछे का उद्देश्य यह है कि गौरवशाली बुंदेलखंडी संस्कृति को जीवित और संरक्षित किया जाए।
उन्होंने कहा कि आज की आधुनिकता में युवाओं को अपनी गरिमामयी संस्कृति के बारे में जानकारी ही नहीं है। बुंदेलखंड के राई, देवारी आदि नृत्यों के संबंध में शायद नई पीढ़ी को कुछ पता ही नहीं होगा। मंशा यही है कि जिन लोगों के हाथ में कल देश का भविष्य होगा, उनको इस संबंध में जागरूक क्या जाए। बताया कि पूरे दिन पाठा के कलाकारों के साथ बुंदेलखंड के महोबा, हमीरपुर, ललितपुर, झांसी और बांदा आदि के लोक कलाकारों की कलाओं की विरासत साझा की जाएगी।
बताया कि इस समारोह को प्रिया संस्था दिल्ली की डा. मार्था फर्रेल को समर्पित है, जिनकी काबुल में एक आतंकी हमले में मृत्यु हो गई थी। आयोजन में प्रिय, सहभागी शिक्षण ट्रस्ट, समर्थन भोपाल, उन्नति अहमदाबाद और सृजन नई दिल्ली का सहयोग है। समारोह का शुभारंभ संत मदनगोपाल दस ने किया।
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