UP : विधानसभा अध्यक्ष Satish Mahana ने सजा सुनाने के निर्णय को बताया ऐतिहासिक, विधायक सलिल विश्नोई की टांग तोड़ने का मामला

Amrit Vichar Network
Published By Kanpur Digital
On

लखनऊ विधानसभा में विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने सजा सुनाने के निर्णय को ऐतिहासिक बताया।

लखनऊ विधानसभा में विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने सजा सुनाने के निर्णय को ऐतिहासिक बताया। अरसे बाद जब विधानसभा अदालत में परिवर्तित हुई। विधायक सलिल विश्नोई की टांग तोड़ने की घटना कचहरी के पास हुई थी।

महेश शर्मा, लखनऊ/कानपुर

अमृत विचार। उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए शुक्रवार का दिन ऐतिहासिक रहा जब 19 साल पहले बिजली संकट को लेकर प्रदर्शन कर रहे कानपुर के विधायक सलिल विश्नोई की टांग तोड़ने वाले पुलिस अधिकारियों और सिपाहियों को विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने एक दिन की सजा सुनायी गई।

सदन में ही बने लॉकअप में इन्हें रखा गया। संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना के आरोपियों को पेशकर उन्हें दंडित करने के लिए विधानसभा को अदालत में तब्दील करने का प्रस्ताव रखा। तो विधानसभा अध्यक्ष ने उसे स्वीकार कर लिया।

सदन ने सर्वसम्मत से निर्णय उन्हीं पर छोड़ दिया। विधानसभा में अदालत में तब्दील हुई और आरोपियों को कठघरे में खड़ा किया गया। उन्हें सफाई का मौका दिया जिस पर सभी माफी मांगी तत्काली सीओ अब्दुसमद ने तो चरण छूकर माफी मांगने तक बात कही। ऋषिकांत शुक्ला ने भी सदन से माफी मांगी। सजा सुनने के बाद पुलिस वालों ने सदन को सैल्यूट किया। इन्हें मार्शल लॉकअप तक ले गए। भाजपा विधायकों ने करतल ध्वनि से फैसले का स्वागत किया। महाना ने फैसले ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह भविष्य में उदाहरण बनेगा। और इस पर राष्ट्रीय बहस होनी चाहिए।

बिजली संकट को लेकर कानपुर के तत्कालीन विधायक सलिल विश्नोई जो विधान परिषद सदस्य हैं, ने बिजली आपूर्ति को लेकर धरना दिया था और डीएम को ज्ञापन देना चाहते थे। उसी दौरान पुलिसकर्मियों ने उनके साथ अभद्रता और गाली गलौच कर अपमानित करते हुए लाठियां बरसाईं जिसमें विधायक के दाहिने पैर की हड्डी टूट गयी थी। सलिल बताते हैं कि यह मामला तभी विशेषाधिकार समिति के सामने आया था।तब माता प्रसाद पांडे विधानसभा अध्यक्ष थे।

खुद महाना बताते हैं कि विधानसभा में 58 साल बाद अदालत लगाकर सजा सुनायी गई। सजा तीन मार्च 12 बजे रात तक रहेगी। दोषी पुलिस वालों में तत्कालीन सीओ अब्दुसमद बाद में प्रशासनिक सेवा में आकर आईएएस हो गए थे। वह हाल में रिटायर हुए। ऋषिकांत शुक्ला, त्रिलोकी सिंह, छोटे सिंह, विनोद मिश्रा व मेहरबान सिंह अभी भी सेवारत हैं। इन्हें कारावास का दंड देने की संस्तुति बीते माह 27 फरवरी को विशेषाधिकार समिति ने दी थी। इससे पहले 1989 में तराई विकास जनजाति निगम के अधिकारी शंकरदत्त ओझा को भी कठघरे में खड़ा किया गया था।

क्या बोले सलिल विश्नोई

एमएलसी सलिल विश्नोई ने विधानसभा अध्यक्ष का यह फैसला ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह फैसला ऐसा उदाहरण बन चुका है कि इस पर राष्ट्रीय बहस होनी चाहिए। निर्वाचित जनप्रतिनिधि जो सदन के भीतर और बाहर जनता की आवाज हैं, उनके साथ कार्यपालिका के लोग ऐसा व्यवहार करते हैं।ऐसे अधिकारियों कर्मचारियों को सजा दी जानी चाहिए।

कब क्या हुआ

- 15 दिसंबर 2004 को सलिल विश्नोई ने प्रदर्शन किया। पुलिस ने उन पर लाठियां चलायीं।उनकी दाहिनी टांग टूट गयी।
- 25 अक्टूबर 2004 सलिल ने विधानसभा अध्यक्ष माताप्रसाद पांडेय से विशेषाधिकार हनन की लिखित शिकायत की और दिसंबर 2004 को विशेषाधिकार समिति को जांच सौंपी गयी।
- जनवरी 2005 समिति ने पीड़ित के साथ मौके पर जुटे प्रत्यक्षदर्शियों व आरोपितों के बयान दर्ज किए।
- 28 जुलाई 2005 को बाबूपुरवा सीओ, किदवई नगर एसओ सहित 6पुलिस कर्मियों को दोषी माना। फरवरी 2006 को सलिल ने जांच समिति की रिपोर्ट के क्रियान्वयन का अनुरोध किया।
- 14 सितंबर 2007 जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई न होने का पत्र विधानसभा अध्यक्ष को दिया। 29 जुलाई 2011 जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई की प्रगति जानने का पत्र दिया।
- 28 अक्तूबर 2017 को सलिल ने फिर पत्र देकर पूछा कि जांच रिपोर्ट का स्टेटस क्या है उस पर अमल कराया जाए।
- सितंबर 2022 को पुन: देकर सलिल ने जांच रिपोर्ट पर फैसले की मांग की।
- दो मार्च 2023 को जांच रिपोर्ट पर चर्चा, विधानसभा अदालत बनी और विस अध्यक्ष सतीश महाना ने सभी 6 आरोपियों को दोषी माना एक दिन का कारावास।

दरवाजे पर कान लगाए रहे अमिताभ वाजपेयी

विधायक पर लाठी चलाकर टांग तोड़ देने वाले पुलिस वालों को सजा सुनाए जाने के दौरान सपा विधायकों के वाकआउट के बाद भी आर्यनगर के विधायक अमिताभ विधायक सदन के दरवाजे के निकट खड़े होकर  विस अध्यक्ष महाना का निर्णय सुनते रहे। उनकी पार्टी का स्टैंड इस प्रकरण पर कुछभी हो पर अमिताभ पुरी रुचि लेते रहे।

मैथानी की क्लास ले ली महाना ने

सदन में कृषिमंत्री को जैसे ही बोलने को कहा गया तो अपनी सीट से उठकर गैलरी में बैठे कनपुरिया मित्रों को सदन से ही मुंह उठाकर नमस्कार करने का लोभ न छोड़ पाने वाले गोविंद नगर से विधायक सुरेंद्र मैथानी को अध्यक्ष सतीश महाना ने टोका। कहा आप तो सदन में खड़े होकर बात न करें। यह सदन है। और आप वरिष्ठ हैं। यह सब करने की अनुमति आपको नहीं दी जाएगी।

संबंधित समाचार