Chaitra Navratri 2023 : हूबहू कटरा की तर्ज पर बना कानपुर में मां वैष्णों देवी मंदिर, यह है मान्यता

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Published By Kanpur Digital
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Chaitra Navratri 2023 हूबहू कटरा की तर्ज पर बना कानपुर में मां वैष्णों देवी मंदिर।

Chaitra Navratri 2023 हूबहू कटरा की तर्ज पर बना कानपुर में मां वैष्णों देवी मंदिर। नवरात्रि पर वैष्णों देवी मंदिर में भक्तों की कतार लगेगी। भगवान की 900 मूर्तियों समेत हजार हाथ वाली माता की मूर्ति स्थापित है।

कानपुर, अमृत विचार। Chaitra Navratri 2023 शारदीय व चैत्र नवरात्र का पर्व पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। नवरात्रों के विशेष नौ दिनों में मंदिरों में हजारों, लाखों की संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन करने जाते है और मनोकामनाएं मांगते है। नवरात्र के दिनों में शहर से बहुत बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का जत्था मां वैष्णों देवी के दर्शन के लिए जाता है। वहीं आर्थिक व शारीरिक रुप से अक्षम भक्तों को मां वैष्णों देवी के दर्शन न हो पाने पर निराश होने की जरूरत नहीं है। शहर के दामोदर नगर स्थित मां वैष्णों देवी मंदिर का अनोखा मंदिर हूबहू कटरा की तर्ज पर बना हुआ है। मंदिर परिसर में बनी गुफा से जाकर आप मां वैष्णों के पिंडी रुप के दर्शन कर जम्मू वाली मां वैष्णों देवी के दर्शन जैसा आनंद की अनुभूति प्राप्त कर सकते है।
 
बर्रा के दामोदर नगर में मां वैष्णों देवी का एक ऐसा अनोखा मंदिर स्थित है, जिसमें माता के दर्शन करने के लिए कटरा की मां वैष्णों देवी की तरह की गुफाओं से गुजर कर जाना पड़ेगा। गुफाओं से गुजरने के दौरान गुंजायामान माता के लगने वाले जयकारे आपको जम्मू में होने का अहसास दिलाएंगें। सन् 2000 में बसंत पंचमी के दिन भक्तों के लिए खुला यह मंदिर 80 वर्ग गज की जगह पर स्थित है।
Chaitra Navratri 2023
 
मंदिर में व्यवस्थापक का कार्य संभालने वाले छुन्ना अग्निहोत्री ने बताया कि मंदिर में 900 भगवानों की मूर्तियों के साथ एक हजार हाथ वाली माता की विशेष मूर्ति भी स्थापित है, जो भक्तों के आकर्षण का केंद्र रहती है। इसके साथ ही मंदिर में महाभारत व रामायण के सुंदर चित्रों को उकेरा गया है। मंदिर में बनी संकरी गुफाओं को प्राकृतिक रुप देने के लिए कुशल कारीगरों द्वारा पत्थरों को जोड़ कर बनाया गया है। उन्होंने बताया कि मंदिर में साल भर भक्तों में का तांता लगा रहता है, लेकिन नवरात्र के विशेष दिनों में मंदिर में लाखों भक्त माता के  पिंडी रुप के दर्शन को आते है।
 

इस तरह हुआ मंदिर का निर्माण 

व्यवस्थापक ने बताया कि जयवीर सिंह राणा ने दामोदर नगर में निवास के लिए जगह ली थी। जगह लेने के कुछ समय बाद जयवीर को माता का सपना आया कि इस जगह पर उनका पांच हजार वर्ष पुराना काली मंदिर स्थापित था। जिसके बाद माता के भक्त जयवीर ने इस जगह पर मंदिर का निर्माण कराया।
 

चुनरी बांधने से मनोकामना होती है पूर्ण

भक्तों के अनुसार सच्चे मन से माता के पिंडी रुप के दर्शन के बाद जो भी भक्त मुख्य द्वार पर मनोकामना मांग कर चुन्नी की तीन गांठे बांधता है, उसकी हर मनोकामना माता पूर्ण करतीं हैं।
 

नवरात्र में रहती है विशेष व्यवस्था

व्यवस्थापक छुन्ना ने बताया कि संपूर्ण मंदिर सीसीटीवी कैमरे की नजर में है। इसके साथ ही नवरात्र के विशेष दिनों मंदिर में भक्तों की भीड़ नियंत्रित करने के लिए बैरेकेडिंग के अलावा कतारबद्ध तरीके से एक-एक भक्त को मंदिर में प्रवेश दिया जाता है, जिससे गुफा में भगदड़ की स्थिति न हो । इसके साथ ही मंदिर में साफ-सफाई की व्यवस्था का भी विशेष ध्यान दिया जाता है।

 

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