अमृत विचार इम्पैक्ट : गलती सुधारेंगे विश्वविद्यालय, मिलेगी छात्रवृत्ति 

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Published By Jagat Mishra
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अमृत विचार की खबर पर समाज कल्याण मंत्री ने की पहल

अमृत विचार, लखनऊ। अनुसूचित जाति, जनजाति के स्नातक छात्र-छात्राएं वर्ष 2022-23 की दशमोत्तर छात्रवृत्ति/शुल्क प्रतिपूर्ति से वंचित नहीं रहेंगे। जिनके आवेदन विश्वविद्यालयों यानी एफिलियेटिंग एजेंसी ने पोर्टल पर लॉक नहीं किए थे या तकनीकी समस्या रही। इस कारण नियमानुसार लाखों आवेदन 12 मार्च तक निरस्त कर दिए गए थे। जबकि छात्र-छात्राओं ने 26 दिसंबर तक समय से आवेदन किए थे और विश्वविद्यालयों की गलती का खामिया भुगत रहे थे। यह खबर अमृत विचार ने 6 मार्च को प्रमुखता से प्रकाशित की थी। जिसका संज्ञान समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने लिया था और उनकी मांग पर केंद्र सरकार ने विश्वविद्यालयों को गलती सुधारने का मौका दिया है। इसके लिए 15 अप्रैल से 15 जून तक पुन: पोर्टल खोला जाएगा और आवेदनों की जांच कर पोर्टल पर लॉक किए जाएंगे। हालांकि छात्रवृत्ति पाने का मौका अनुसूचित जाति, जनजाति के छात्र-छात्राओं को मिलेगा। जबकि सामान्य जाति, पिछड़ी जाति व अल्पसंख्यक वर्ग के लिए कोई दिशा-निर्देश नहीं मिले हैं।

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पहले डीआईओएस अब विश्वविद्यालय करते लॉक
डिग्री कॉलेजों के छात्रवृत्ति आवेदनाें का डाटा पहले जिला विद्यालय निरीक्षक लॉक कर एनआईसी को भेजते थे। इसके बाद डाटा लॉक करने की जिम्मेदारी संबंधित विश्वविद्यालयों को दे दी गई, जिनकी जहां से मान्यता है। जो छात्र-छात्राओं की सीट, फीस के छात्रवृत्ति का डाटा लॉक करने लगे।

वर्जन -
किसी छात्र-छात्राओं को उनके विद्यालय या संस्था की गलती की सजा नहीं मिलनी चाहिए। अनुसूचित जाति, जनजाति के ऐसे सभी आवेदनों की अगले वित्तीय वर्ष में प्रक्रिया की जाएगी। जिससे की कोई वंचित न रह जाए।
- असीम अरुण, राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), समाज कल्याण, उप्र

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