पीलीभीत: राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में आईएमए ने जताया विरोध

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Published By Vishal Singh
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आईएमए अध्यक्ष डॉ. पीयूष अग्रवाल ने कहा कि बिल वापस होने तक जारी रहेगा विरोध 

पीलीभीत, अमृत विचार। राजस्थान विधानसभा में डॉक्टरों के भारी विरोध के बाद भी राइट टू हेल्थ बिल को 21 मार्च 2023 को पास कर दिया गया। इसको लेकर आईएमए ने 'राईट टू हेल्थ बिल" के खिलाफ विरोध जताया है। साथ ही एक ज्ञापन जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार को सौंपा।

आईएमए अध्यक्ष डॉ. पीयूष अग्रवाल ने बताया कि यह बिल आमजनो को संविधान के धारा 21 के अंर्तगत सरकार द्वारा डॉक्टर्स को राईट टू लीव अधिकार से वंचित करने का प्रयास है। सरकारें स्वास्थ्य क्षेत्र में अपने दायित्व को प्राईवेट सेक्टर पर बिना किसी खर्च फेंक कर उन्हें बर्बाद करने पर उतारू है। किसी न किसी रूप में केन्द्र एवं सभी राज्य सरकारें एक जैसा कदम उठा रही है राजस्थान सरकार जब तक इस जनविरोधी वाले काले कानून (राईट टू हेल्थ बिल) को वापस नहीं टू लीव अधिकार से वंचित करने का प्रयास है।

सरकारें स्वास्थ्य क्षेत्र में अपने दायित्व को प्राईवेट सेक्टर पर बिना किसी खर्च फेंक कर उन्हें बर्बाद करने पर उतारू है। किसी न किसी रूप में केन्द्र एवं सभी राज्य सरकारें एक जैसा कदम उठा रही है राजस्थान सरकार जब तक इस जनविरोधी वाले काले कानून (राईट टू हेल्थ बिल) को वापस नहीं लेती तब तक आईएमएउ विरोध जारी रखेगी।

राजस्थान सरकार द्वारा लागू किया जा रहा राइट टू हेल्थ (आरटीएच) बिल बिना सोचे समझे थोपा जा रहा है, यह हर वर्ग के खिलाफ है। आमजन का स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन सरकार इस जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रही है और यह जबरन प्राईवेट डॉक्टरों पर थोपना चाह रही है। इस बिल से संबंधित कमेटियों में डॉक्टरों को शामिल नहीं किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। 

उन्होंने कहा कि बिल में बिना सुनवाई के सजा का प्रावधान है। इमरजेंसी की कोई परिभाषा नही है। कोई भी डाक्टर किसी का भी उपचार करेगा यह किसी भी तरह से व्यवाहरिक नहीं है। बिल में संशोधन किया जाना चाहिए। चिकित्सकों की कोई राय नहीं ली गयी। यह पूरी तरह से चुनावी बिल है। आईएमए का मानना है कि मुफ्त का कोई भी सिस्टम स्थायी नहीं है, इस प्रकार का सिस्टम एक समय के बाद बन्द होना होता है और बन्द होने के बाद आंदोलन होते हैं। काले कानून के विरोध में राष्ट्रीय आईएमए के नेतृत्व में  पीलीभीत आईएमए ने भी 27 मार्च विरोध जताया।

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