हाथरस कांड को लेकर अखिलेश ने बोला हमला, कहा- पीड़ित परिवार को नौकरी के नाम पर छलना ‘मानसिक बलात्कार’ से कम नहीं

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
On

लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार पर हाथरस बलात्कार कांड मामले के पीड़ित परिवार को नौकरी देने और दूसरी जगह बसाने के झूठे वादे करके छलने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को कहा कि यह प्रताड़ना ‘मानसिक बलात्कार’ से कम नहीं है।

अखिलेश यादव ने हैश टैग ‘‘हाथरस की बेटी’’ से किये गये एक ट्वीट में हाथरस कांड मामले के पीड़ित परिवार का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘हाथरस की बेटी के परिवार को भाजपा सरकार नौकरी देने और दूसरी जगह बसाने के झूठे वादे करके अब दौड़ा रही है। ये प्रताड़ना और अपमान किसी मानसिक बलात्कार या मनोबल की ‘हत्या’ से कम नहीं।’’ 

गौरतलब है कि 14 सितंबर 2020 को हाथरस जिले के चंदपा क्षेत्र में चार युवकों ने एक दलित लड़की से बलात्कार किया था। घटना के बाद 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान पीड़िता की मौत हो गई थी। पीड़िता के शव का पुलिस द्वारा 29-30 सितंबर, 2020 की रात ‘जबरन’ दाह संस्कार किये जाने को लेकर खासी आलोचना हुई थी। 

सरकार ने 30 सितंबर को पीड़ित परिवार के एक सदस्य को समूह ‘ग’ स्तर की नौकरी देने का आश्वासन दिया था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने 27 जुलाई, 2022 को इस मामले में एक आदेश पारित करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह हाथरस पीड़िता के परिवार के एक सदस्य को तीन महीने के भीतर सरकारी नौकरी या शासकीय उपक्रम में रोजगार देने पर विचार करे। 

अदालत ने सरकार से यह भी कहा था कि उसे 30 सितंबर, 2020 के अपने उस लिखित आश्वासन पर अमल करना चाहिये जिसमें उसने पीड़ित के परिवार के किसी एक सदस्य को समूह ‘ग’ स्तर की सरकारी नौकरी देने का वादा किया था। अदालत ने राज्य सरकार से यह भी कहा था कि छह महीने के भीतर वह पीड़ित परिवार को हाथरस से बाहर राज्य में कहीं अन्यत्र बसाने का इंतजाम करे।

योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के इस आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी। हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार की याचिका 27 मार्च को खारिज कर दी। प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की पीठ ने इस पर आश्चर्य व्यक्त किया कि राज्य ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील दायर की।

उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) गरिमा प्रसाद ने अपने अभिवेदन में कहा कि राज्य पीड़ित परिवार के सदस्यों को स्थानांतरित करने के लिए तैयार है, लेकिन वे नोएडा या गाजियाबाद या दिल्ली में स्थानांतरित होना चाहते हैं और क्या बड़े विवाहित भाई को मृतका का ‘‘आश्रित’’ माना जा सकता है, यह कानूनी सवाल है। इस पर पीठ ने कहा कि वह मामले के ‘‘विशेष तथ्यों और परिस्थितियों’’ पर विचार करते हुए उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने की इच्छुक नहीं है।

यह भी पढ़ें:-अयोध्या: चिकित्सकों से अभद्रता करने वाले को किया पुलिस के हवाले

संबंधित समाचार