बरेली: बहुचर्चित फर्जी लाली एनकाउंटर में सेवानिवृत्त दरोगा युधिष्ठिर दोषी करार

कोर्ट ने सजा के प्रश्न पर सुनवाई के लिए 31 मार्च की तिथि नियत की

बरेली: बहुचर्चित फर्जी लाली एनकाउंटर में सेवानिवृत्त दरोगा युधिष्ठिर दोषी करार

बरेली, अमृत विचार। करीब 31 साल पुराने बहुचर्चित लाली फर्जी एनकाउंटर केस में बुधवार को अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट-12 पशुपति नाथ मिश्रा ने सेवानिवृत्त दरोगा युधिष्ठिर सिंह को दोषी करार दिया है। कोर्ट ने सजा के प्रश्न पर सुनवाई को 31 मार्च की तिथि नियत की है। संभवतः शुक्रवार को ही दरोगा के विरुद्ध कोर्ट द्वारा सजा भी सुना दी जायेगी।

एडीजीसी क्राइम आशुतोष दुबे ने बताया कि थाना कोतवाली में तैनात रहे दरोगा युधिष्ठिर सिंह ने 23 जुलाई 1992 को साहूकारा क्षेत्र के मुकेश जौहरी उर्फ लाली को आत्मरक्षा में एनकाउंटर कर मार गिराने का दावा किया था। घटना को फर्जी मुठभेड़ दर्शाकर मृतक लाली पर लूट व जानलेवा हमला करने के आरोप में रिपोर्ट दर्ज करा दी थी। दरोगा ने तहरीर में उल्लेखित किया था कि 23 जुलाई 1992 को बड़ा बाजार से सामान खरीदारी कर वापस आ रहा था कि तीन लोगों को पिंक सिटी वाइन शाप के सेल्समैन से झगड़ा करते देखा। सेल्समैन के विरोध करने पर एक ने उस पर तमंचा तान दिया था, दूसरे ने शराब की बोतल उठा ली व तीसरे ने सेल्समैन पर तमंचा तान दिया था। 

दरोगा युधिष्ठिर सिंह ने आरोपियों को ललकारा तो एक ने उन पर फायर झोंक दिया, जिससे वह बाल-बाल बचे। दरोगा ने आत्मरक्षा में गोली चलाने की बात कही थी। घायल मुकेश जौहरी उर्फ लाली था। बाकी दो व्यक्ति मौके से फरार हो गए। लाली के अस्पताल ले जाते वक्त मौत हो गयी थी। कोतवाली में लूट व जानलेवा हमला करने के आरोप में दरोगा ने मुकदमा दर्ज कराया था। चर्चित केस में लाली की मां ने मुठभेड़ को झूठा बताते हुए रिपोर्ट दर्ज कराने की मांग की थी, मगर केस दर्ज नहीं हुआ था।

पांच वर्ष की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद हुई थी सीबीसीआईडी जांच
पांच वर्ष तक लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंपी गयी थी, विवेचना में साफ हुआ कि दरोगा ड्यूटी पर तैनात ही नहीं था। सरकारी रिवाल्वर का दुरुपयोग किया। दरोगा ने मुठभेड़ में सामने से गोली मारना बताया था, जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गोली लाली की पीठ पर लगी पाई गई थी। 20 नवम्बर 1997 को सीबीसीआइडी के इंस्पेक्टर शीशपाल सिंह की तहरीर पर दरोगा युधिष्ठिर सिंह के विरुद्ध हत्या, आपराधिक षडयंत्र की रिपोर्ट दर्ज हुई थी।

19 गवाहों को कोर्ट में परीक्षित कराया था
शासकीय अधिवक्ता ने 19 गवाहों को कोर्ट में परीक्षित कराया था। हत्या के मामले में जमानत कराने के बाद से ही आरोपी दरोगा फरार हो गया था। कोर्ट द्वारा उसके विरुद्ध गैर जमानती वारंट/कुर्की कार्रवाई के आदेश पर पुलिस के कसते शिकंजे के चलते कोर्ट में हाजिर होना पड़ा था। वादी की ओर से शासकीय अधिवक्ता के साथ ही बार अध्यक्ष अरविंद कुमार ने भी पैरवी की थी।

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