बरेली: खुदा ने रमजान के महीने में कुरआन को उतारा, इस महीने में कुरआन पढ़ने से डबल सबाब मिलता है- मौलाना शहाबुद्दीन रजवी

बरेली: खुदा ने रमजान के महीने में कुरआन को उतारा, इस महीने में कुरआन पढ़ने से डबल सबाब मिलता है- मौलाना शहाबुद्दीन रजवी

बरेली, अमृत विचार। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी ने रजा कलोनी निवासी मौलाना आजाद के निवास स्थान पर रोजा इफ्तार कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि रोजा खुदा के मानने वाले तमाम मुसलमानों के लिए फर्ज किया गया है। रोजा बंदे को अपने रब से जोड़ता है और उससे वफादारी और इताअत(आदेशो का पालन) के जज्बे को मजबूत करता है। बंदे का जीना और मरना सिर्फ खुदा के लिए है, खुदा ने फ़रमाया की रोजा सिर्फ मेरे लिए है और मैं ही उसका अज्र( अच्छे कार्य करने का सवाब ) दूंगा। पैग़म्बरे इस्लाम पर वही (खुदा का आसमानी फरमान)सबसे पहले गारे हिरा में नाजिल हुई जबकि पैग़म्बरे इस्लाम वहां मुसलसल रोजों की हालत में थे और मुकद्दस किताब कुरआन शरीफ इसी रमजान के महीने में मुकम्मल हुई , इसी वजह से 20 तरावीह नमाज में पूरा कुरआन शरीफ पढ़ने का हुक्म दिया गया है।

मौलाना ने कहा कि रमजान के महीने मे कुरआन शरीफ पढ़ने से डबल सबाब मिलता है, मुसलमानों को चाहिए कि अपने घरों में खैर और बरकत के लिए कुरआन शरीफ की तिलावत खुद करें और घर की महिलाओं और बच्चों को भी कुरआन पढ़ने के लिए कहें ।

मौलाना ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि मुसलमानों ने कुरआन पढ़ना छोड़ दिया है, सिर्फ तरावीह नमाज में इमाम के पिछे कुरआन सुन लेने को ही काफी समझते हैं, बाकी साल के 11 महीनों में कुरआन शरीफ को खोलकर नहीं देखते, यही वजह है कि घरों से खैर और बरकत खत्म हो गई और कारोबार भी मंदी के कगार पर है। कार्यक्रम में मुख्य रूप से मौलाना मुजाहिद हुसैन, मौलाना आजाद, इस्लाम कुरैशी, हाफिज अब्दुल वाहिद, डॉक्टर नदीम, डॉक्टर अनवर रजा, साहिल रजा कादरी आदि मौजूद रहे।

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