बरेली: बसपा को नहीं मिल रहा उम्मीदवार तो भाजपा में कई दावेदार!, कांग्रेस का प्रत्याशी तय...सपा ने भेजे जानिए किसके नाम?
बरेली, अमृत विचार। चुनाव का बिगुल बच चुका है। सियासत के मैदान में उतरने के लिए रणबांकुरे तैयार हैं। लेकिन अभी केवल एक पार्टी ने अपने प्रत्याशी की घोषणा की है। सपा ने अपने दावेदारों के साथ बैठक की है। जिसमें कई पुराने दिग्गजों ने मौजूदा हालात को देखते हुए चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव, 2023 का आरक्षण जारी हो गया है। बरेली नगर निगम का मेयर पद एक बार फिर अनारक्षित (सामान्य जाति) है। इसके बाद शहर का प्रथम नागरिक बनने को जंग शुरू हो गई है।
भाजपा के पास दावेदारों की लंबी लिस्ट है। जिसमें भाजपा के निवर्तमान महापौर डॉक्टर उमेश गौतम समेत 22 दावेदार हैं। उधर बसपा में अभी तक मेयर का चुनाव लड़ने को किसी ने आवेदन नहीं किया है। कांग्रेस ने डॉ. केवी त्रिपाठी का टिकट फाइनल कर दिया। शहर में भाजपा के पास मजबूत वोट है लेकिन, सपा मुस्लिम-यादव मतदाताओं के सहारे है। हालांकि, शहर में यादव मतदाताओं की संख्या काफी कम है। यादव मतदाता 20 हजार से भी कम हैं।
मुस्लिम वोट में भाजपा भी सेंधमारी करेगी। सपा को यादव और मुस्लिम के साथ एक बड़े वोट की जरूरत है। इसको लेकर सपा ने विधानसभा चुनाव में कोशिश भी की थी। शहर और कैंट में वैश्य समाज के प्रत्याशियों को टिकट दिया था। मगर प्रत्याशी अपने बूथ भी नहीं बचा पाए। सपा संगठन पूर्व मेयर डॉ. आईएस तोमर, पार्षद राजेश अग्रवाल और संजीव सक्सेना का नाम पैनल में हाईकमान को भेजने की तैयारी में है। एक दर्जन उम्मीदवारों ने सपा से आवेदन किया है।
बरेली नगर निगम का सियासी गणित
बरेली नगर निगम में 847763 मतदाता हैं। इसमें करीब 3.75 लाख मुस्लिम, 85 हजार एससी, 70 हजार वैश्य, 55 हजार कायस्थ, 37 हजार ब्राह्मण, यादव 19 हजार, सिख 18 हजार आदि वोट हैं। सपा के पास यूपी में एक भी मेयर नहीं है। 2017 के निकाय चुनाव में 16 नगर निगम में से 14 पर भाजपा और 2 पर बसपा ने जीत दर्ज की थी।
भाजपा में इनके बीच टिकट का मुख्य मुकाबला
भाजपा में 22 दावेदारों ने आवेदन किया था। इसमें निवर्तमान मेयर डॉक्टर उमेश गौतम, महानगर अध्यक्ष डॉ.केएम अरोड़ा, डॉ.विनोद पगरानी, डॉ. विमल भारद्वाज के बीच मुकाबला माना जा रहा है। हालांकि, पूर्व मंत्री बहोरन लाल मौर्य, पूर्व जिलाध्यक्ष रविंद्र सिंह राठौर, शशिवाला राठी आदि ने भी आवेदन किया है। भाजपा में राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेश अग्रवाल के पुत्र मनीष अग्रवाल के टिकट की चर्चा है। भाजपा की स्थिति बहुत ही असमंजस वाली बनी हुई है। क्योंकि निवर्तमान समेत कई बडे़ चेहरे टिकट की होड़ में लखनऊ तक जुगत लगाने में लगे हुए हैं।
संगठन लगा वोटरों को रिझाने में...रहेगा वही हथकंडा
भाजपा पहले की तरह सबका साथ सबका विकास व सबका विश्वास नारे के साथ चुनाम मैदान में उतरने की तैयारी में लगी है। वह अपने छोटे से छोटे कार्यकर्ता को बड़ी जिम्मेदारी दे रही है। बीते विधानसभा चुनाव के हिसाब से रणनीति तैयार कर रही है, तो वहीं सपा भाजपा से जनता को त्रस्त बताकर अपनी पुरानी सरकार के कार्य बताकर अपने प्रचार में जुटी है। कई अन्य बिंदुओं पर सपा काम कर रही है। सियासत की बिसात बिछना शुरू हो गई है। शह और मात का खेल शुरू हो चुका है।
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