IT नियमों में 'सख्त' संशोधनों को वापस लिया जाये: एडिटर्स गिल्ड

Amrit Vichar Network
Published By Om Parkash chaubey
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नई दिल्ली। ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ ने शुक्रवार को कहा कि वह सूचना प्रौद्योगिकी नियमों में उन ‘‘सख्त’’ संशोधनों से ‘‘बहुत चिंतित’’ है, जिसमें फर्जी समाचारों को तय करने का ‘‘पूर्ण जिम्मा’’ सरकार को दिया गया है। गिल्ड ने यहां एक बयान में सरकार से सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) संशोधन नियमों को वापस लेने और मीडिया संगठनों तथा प्रेस निकायों के साथ परामर्श करने का आग्रह किया, जैसा कि उसने पहले वादा किया था।

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गिल्ड ने कहा कि नियमों के अनुसार सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्रालय ने खुद को एक ‘‘फैक्ट चेक यूनिट’’ गठित करने की शक्ति दे दी है, जिसके पास ‘‘केंद्र सरकार के किसी भी काम’’ के संबंध में ‘‘फर्जी या गलत या भ्रामक’’ क्या है, यह निर्धारित करने के लिए व्यापक शक्तियां होंगी। उसने कहा कि मंत्रालय ने खुद को ‘मध्यस्थों’ (सोशल मीडिया मध्यस्थों, इंटरनेट सेवा प्रदाताओं और अन्य सेवा प्रदाताओं सहित) को इस तरह की सामग्री को प्रचारित नहीं करने के लिए निर्देश जारी करने का अधिकार भी दिया है।

बयान में कहा गया है, ‘‘असल में, सरकार ने खुद को अपने स्वयं के काम के संबंध में, कोई खबर फर्जी है या नहीं, यह निर्धारित करने और इसे हटाने का आदेश देने के लिए पूर्ण शक्ति दी है।’’ एडिटर्स गिल्ड का कहना है कि इस तरह की ‘फैक्ट चेकिंग यूनिट’ के लिए नियामक तंत्र क्या होगा, इसका कोई उल्लेख नहीं किया गया है और न ही इसमें न्यायिक निरीक्षण, अपील करने का अधिकार, या श्रेया सिंघल बनाम भारत संघ मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा सामग्री को हटाने या सोशल मीडिया हैंडल को ‘ब्लॉक’ करने के लिए निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन करने का प्रस्ताव है।

बयान में कहा गया है, ‘‘यह सब नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है और सेंसरशिप के समान है।’’ गिल्ड ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि मंत्रालय ने इस संशोधन को बिना किसी सार्थक चर्चा के अधिसूचित कर दिया।

गिल्ड ने कहा, ‘‘इसलिए इस तरह के सख्त नियमों संबंधी मंत्रालय की अधिसूचना चिंता की बात है। गिल्ड फिर से मंत्रालय से इस अधिसूचना को वापस लेने और मीडिया संगठनों और प्रेस निकायों के साथ परामर्श करने का आग्रह करता है।’

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