अयोध्या: मजिस्ट्रेट की निगरानी में ही निकलेंगे जुलूस, आंबेडकर मूर्तियों की सुरक्षा के लिए पुलिस तैनाती की हिदायत

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Published By Deepak Mishra
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अयोध्या, अमृत विचार। आसन्न नगर निकाय चुनाव और सबसे बड़े सियासी महासमर 2024 को लेकर सियासी बयानबाजी और गोलबंदी के चलते पुलिस महकमे ने एहतियाती कवायद तेज कर दी है। सियासी ध्रुवीकरण के लिए शुरू हुई जातीय गोलबंदी के बीच डीजीपी ने आंबेडकर जयंती पर जुलूस को सकुशल संपन्न कराने के लिए बॉक्स फार्म निगरानी का निर्देश दिया है। साथ ही जिले के आंबेडकर मूर्तियों की सुरक्षा के लिए पुलिस की तैनाती की हिदायत दी है। 
    
गौरतलब है कि 14 अप्रैल को संविधान सभा अध्यक्ष डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती है। प्रदेश के वर्तमान सियासी हालात पर हर दल दलित मतों को अपने पाले में करने की जुगत में लगा है। वहीं अन्य पिछड़ा वर्ग का हितैषी बनने को भी रणनीति के तहत कवायद शुरू की गई है। पुराने घटनाक्रमों पर गौर करें तो जाति-वर्ग की गोलबंदी को लेकर साजिश के तहत कृत्य अंजाम दिए जाने की कोशिशें होती रही हैं। 

डॉ. आंबेडकर की मूर्तियों में तोड़-फोड़ की घटनाएं भी बढ़ जाती हैं। देश के सबसे बड़े सियासी महासमर की पर्दे के पीछे चल रही तैयारियों को लेकर सतर्क पुलिस महकमे ने एहतियाती रणनीति पर कार्रवाई शुरू की है। प्रदेश के डीजीपी की ओर से जारी पत्र में जिला पुलिस प्रमुखों को शांति और सुरक्षा के मद्देनजर आंबेडकर जयंती पर निकले वाले जुलूसों को संपन्न कराने के लिए बॉक्स फार्म अपनाने का निर्देश दिया गया है। 

कहा गया है कि मजिस्ट्रेट के साथ क्षेत्राधिकारी जुलूस के आगे और पीछे रहें तथा दाएं-बाएं भी अधिकारी पुलिस बल के साथ चलें। साथ ही आसूगैस, रबर बुलेट स्क्वायड की तैनाती हो और मिश्रित आबादी क्षेत्र में रूफटॉप ड्यूटी लगाई जाए तथा रिजर्व पुलिस बल की उपलब्धता हो। गोष्ठी, जनसभा, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजनों में भी पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की जाए। 
सोशल मीडिया सेल और स्थानीय अभिसूचना से राउंड का क्लाक निगरानी कराई जाए तथा सूचनाएं कंट्रोल रूम को उपलब्ध कराई जाए। इस बात का खास ध्यान रहे कि जुलूस परंपरागत मार्ग पर ही निकले और मादक पदार्थों के सेवन के चलते कोई अप्रिय स्थिति न होने पाए।

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