Auraiya News : पचनद के जंगल मे मिला दो सिर वाला कबूतर, देखने के लिए दूर-दराज से पहुंचे ग्रामीण, पढ़ें- पूरा मामला

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Published By Nitesh Mishra
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औरैया के पचनद के जंगल में दो सिर वाला कबूतर मिला।

औरैया के पचनद के जंगल में दो सिर वाला कबूतर मिला। रॉक प्रजाति के कबूतर को देखने के लिए दूर-दराज से लोग पहुंच रहे।

औरैया, अमृत विचार। पचनद के जंगल के गांव केथोली के जंगल में दो सिर वाला अदभुत कबूतर देखने को मिला है। रॉक प्रजाति का यह कबूतर लोगों के लिए कोतुहल का विषय बना हुआ है। इस तरह के कबूतर कभी कभार देखने को मिलते हैं। जनपद के केथोली के जंगलों में यमुना नदी के किनारे कटे पेड़ के ठूठ पर दो सिर वाला कबूतर मिला। इसके सीने के ऊपर का भाग दो हिस्सों में बट है। दो चोंच और चार आंखे हैं। जबकि निचला हिस्सा सामान्य कबूतर की अपेक्षा डेढ़ गुना मोटा है। गांव वालों का कहना है कि ऐसा पक्षी पहली बार देखा।

कबूतरों को पालतू बनाये जाने का सबसे पुराना उल्लेख मिस्र के पांचवे राज वंश से मिलता हैं। 1150 ईश्वीय में बगदाद के सुल्तान ने कबूतरों की डाक व्यवस्था शुरू की थी और चंगेज खां ने अपने विजय अभियानों के विस्तार के साथ ऐसी ही प्रणाली का उपयोग किया था। 1848 कि क्रांति के दौरान यूरोप में संदेश वाहक के रूप में कबूतरों का व्यापक इस्तेमाल हुआ था।

1849 में बर्लिन व ब्रुसेल्स के बीच टेली ग्राफ सेवा भंग होने पर कबूतरों को ही संदेश वाहक रूप में प्रयुक्त किया गया था। 20वीं शताब्दी में भी युद्धों के दौरान कबूतरों को आपात संदेश ले जाने के लिए इस्तेमाल किया गया। अमेरिका के आर्मी सिग्नल कापर्स के कबूतर की उड़ान का कीर्तमान 3700 किलीमीटर का है।

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