यूपी में ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के लिए आनलाइन मुफ्त शिक्षा शुरू, बच्चों के बीच में स्टूडेंड की तरह बैठे नजर आये मुख्य सचिव 

यूपी में ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के लिए आनलाइन मुफ्त शिक्षा शुरू, बच्चों के बीच में स्टूडेंड की तरह बैठे नजर आये मुख्य सचिव 

अमृत विचार लखनऊ। माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से संचालित इंटर कॉलेजों में पढ़ने वाले ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के लिए मुफ्त आनलाइन शिक्षा की शुरूआत हो गई। सोमवार को मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने ऑनलाइन ग्रामीण शिक्षा 'पहल' कार्यक्रम की शुरूआत सरोजनीनगर स्थित राजकीय यूपी सैनिक इंटर कॉलेज से की है। आनलाइन शिक्षा देने की पहल  माध्यमिक शिक्षा विभाग और आईआईटी कानपुर के सहयोग से की गई है। इस योजना के तहत प्रदेश के 10 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में निःशुल्क ऑनलाइन शिक्षा प्रदान की जायेगी। कार्यक्रम के मौके पर मौजूद मुख्य सचिव ने कहा कि ऑनलाइन ग्रामीण शिक्षा ‘पहल’ एक नई और अच्छी शुरुआत है।
 
इन कक्षाओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थी विज्ञान एवं गणित से सम्बन्धित नवीनतम जानकारियां प्राप्त कर सकेंगे। आने वाले समय में उत्तर प्रदेश देश का ग्रोथ इंजन बनने वाला है, इस ग्रोथ इंजन को ताकत प्रदेश के बच्चे देंगे। वहीं स्मार्ट क्लास का भी मुख्य सचिव ने उद्घाटन किया इस दौरान वह बच्चों के बीच स्टूडेंट की तरह से बैठे नजर आये। कार्यक्रम के मौके पर अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार और शिक्षा महानिदेशक विजय किरण आनंद भी मौजूद रहे। 

 

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सोमवार को मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने ऑनलाइन ग्रामीण शिक्षा 'पहल' कार्यक्रम की शुरूआत की इस दौरान उनके साथ अपर मुख्य सचिव बेसिक व माध्यमिक दीपक कुमार और शिक्षा महानिदेशक विजय किरण आनंद मौजूद रहे। फोटो अमृत विचार
 
आगामी दिन में 40 हजार स्कूलों में शुरू होगी व्यवस्था
मुख्य सचिव ने कहा कि सरकार का प्रयास है कि सरकारी स्कूली बच्चों को ऐसी शिक्षा दी जाए, जिससे छात्र एक स्तम्भ के रूप में देश की अर्थव्यवस्था को तेजी से बढ़ाने में अपना योगदान दे सकें। टेक्नोलॉजी के माध्यम से आज उत्तर प्रदेश में 10 सरकारी स्कूलों में व्यवस्था शुरू की गई, आगामी दिनों में 40 हजार स्कूलों में यह व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने ट्रिपल एस (स्किल, स्केल और स्पीड) का मंत्र दिया था, पहले आप सीखिए, स्केल-अप करिए और फिर स्पीड के माध्यम से सभी लोगों तक लाभ पहुंचाइये। यह तभी संभव होगा जब हम टेक्नोलॉजी का प्रयोग करेंगे। 
 
निपुण कार्यक्रम से बदली तस्वीर
मुख्य सचिव ने कहा कि नवीन तकनीक व 'निपुण' कार्यक्रम के माध्यम प्राइमरी स्कूल की तस्वीर बदल गई है। प्राइमरी स्कूल में बच्चों को अध्यापकों द्वारा प्रैक्टिकल के माध्यम शिक्षा से दी जा रही है, जिससे अब बच्चे रटने के स्थान पर विषय को समझकर अंगीकार कर लेते हैं। कायाकल्य कार्यक्रम के तहत सभी प्राइमरी विद्यालयों में प्राइवेट स्कूल की भांति सुविधायें उपलब्ध करायी जा रही हैं। आज सभी प्राइमरी स्कूल में बैठने के लिये सीट, स्मार्ट बोर्ड, शौचालय और तमाम सारी चीजें प्रदर्शित हैं, जो उन्हें जानना चाहिये। इसी प्रकार मिशन अलंकार के माध्यम से इण्टरमीडिएट कॉलेजों का पूरा-पूरा कायाकल्य हो रहा है। 
 
स्मार्ट क्लास का अवलोकन कर बच्चों के साथ की पढ़ाई
इस मौके पर मुख्य सचिव ने स्मार्ट क्लास का अवलोकन किया। साथ ही मुख्य सचिव ने हाईस्कूल और इंटर की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए छात्र-छात्राओं को सम्मानित भी किया। उन्होंने माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिये किये जा रहे प्रयासों की सराहना की तथा आईआईटी कानपुर की टीम का विशेष रूप से आभार व्यक्त किया। इस दौरान मुख्य सचिव क्लास में बच्चों के साथ स्टूडेंट के रूप में भी नजर आये। 
 
क्या है आनलाइन शिक्षा व्यवस्था 
अधिकारियों ने बताया कि आईआईटी कानपुर के माध्यम से शुरू किए किये गये नवाचार जो हमारे प्रदेश के 10 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में ग्रामीण विद्यार्थियों को ऑनलाईन शिक्षण की व्यवस्था की शुरूआत की गई है। आईआईटी कानपुर के सहयोग से तैयार किये गये ओआरईआई (ऑनलाइन रूरल एजुकेशन इनीशिएटिव) कार्यक्रम के अंतर्गत कक्षा-9 से कक्षा-12 तक के विद्यार्थी लाभान्वित हो सकेंगे। इस कार्यक्रम का शुरूआत वर्ष 2018 में बीटेक के छात्रों के एक समूह की ओर से कानपुर नगर के एक गांव में प्रारम्भ किया गया था, जिसके उपरान्त यह कार्यक्रम राम जानकी इण्टर कॉलेज, बिठूर, कानपुर नगर तथा भारतीय ग्रामीण विद्यालय, महोना, लखनऊ में विस्तारित किया गया। अब इस कार्यक्रम का विस्तार किया गया है।  
 

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