122 साल पुराना है बरेली में दूर संचार सेवाओं का इतिहास
मोनिस खान, बरेली, अमृत विचार। डिजिटल सूचना तंत्र के दौर में टेलीग्राम यानी तार जैसी सेवाओं को याद करना दूर संचार क्रांति के शुरुआती वक्त में झांकने जैसा है। तार घर कब टेलीफोन एक्सचेंज में बदल गए और टेलीफोन एक्सचेंज चलाने वाली कंपनियां कब फाइबर लाइन के जरिये इंटरनेट मुहैया कराने के काम में जुट गईं लोगों को पता ही नहीं चला। बरेली शहर में दूर संचार सेवाओं के इतिहास की बात करें तो यह करीब 122 साल पुराना है। ब्रिटिश काल में इसकी शुरुआत तार सेवा से हुई थी। इसके बाद लैंडलाइन फोन, पेजर, मोबाइल और स्मार्ट फोन ने लोगों की जिंदगी को बदलकर रख दिया।
बीएसएनएल अधिकारियों के मुताबिक बरेली में दूर संचार सेवाओं की नींव 1901 में पड़ी। जब ब्रिटिश सरकार के अधीन आने वाले डाक और तार विभाग ने डिफेंस से कैंट में 99 साल की लीज पर जमीन लेकर भवन का निर्माण कराया। यहां शहर के पहले केंद्रीय तार घर की शुरुआत की गई। वही तार जिसका इस्तेमाल लंबे समय तक आम लोगों के बीच अधिकतर दुखद समाचार भेजने के लिए किया जाता रहा।
वरिष्ठ रंगकर्मी एवं समाज सेवी जेसी पालीवाल बताते हैं कि डाकिया जब तार लेकर आया करता था तब बहुत सारे लोग उसे देखकर ही रोने लगते थे। लोग यह मानकर बैठते थे कि अगर तार आया है तो कोई दुखद समाचार ही होगा, लेकिन डिजिटल युग में यह सारी बातें अचरज भरी लगती हैं। करीब 10 साल पहले टेलीग्राम सेवा विभाग ने बंद कर दी। धीरे-धीरे जमाना टेलीफोन का आ गया, आजादी से पहले टेलीफोन उतने आम नहीं हुए थे, लेकिन चुनिंदा लोगों के घरों में टेलीफोन हुआ करते थे।
बीएसएनएल के अधिकारियों के मुताबिक उनके कमर्शियल विभाग के पास शहर में लैंडलाइन फोन उपभोक्ताओं का केवल 1965 से डेटा मौजूद है, लेकिन जेसी पालीवाल बताते हैं कि वह जब 1948 में यहां आए तो प्रतिष्ठित लोगों के घरों में टेलीफोन हुआ करते थे।
लैंड लाइन फोन का वो सुनहरा दौर
जिन लोगों के घरों में लैंडलाइन फोन हुआ करता था, उनके घरों में ट्रिंग-ट्रिंग लैंडलाइन फोन की घंटी बजना और घर के किसी सदस्य का दौड़कर फोन उठाना जरूर याद होगा। एक समय में घर के अंदर लैंडलाइन फोन होना प्रतिष्ठा की बात मानी जाती थी। बरेली शहर में 90 के दशक को लैंड लाइन फोन की क्रांति का दौर माना जाता है। जब तक कॉपर लाइन आ चुकी थी, लिहाजा लैंड लाइन फोन का कनेक्शन लेने के लिए महीनों इंतजार करना पड़ता था। कनेक्शनों की संख्या की बात करें तो साल 2000 आते-आते जिले में एक लाख से ज्यादा कनेक्शन हो चुके थे, लेकिन मौजूदा वक्त में महज 3500 के आसपास लैंडलाइन कनेक्शन बचे हैं।
डिजिटल युग के साथ बीएसएनएल का कदमताल
किसी जमाने में लैंडलाइन फोन के लिए अपनी साख बनाने वाला बीएसएनएल डिजिटल युग में जब लैंड लाइन कनेक्शनों के कम होने की दिक्कत को झेल रहा है, तो नये जमाने के साथ कदमताल करते हुए फाइबर लाइन की तरफ बढ़ चला है। अधिकारियों के मुताबिक साल 2014 में इसकी शुरुआत की गई थी। मौजूदा समय में फाइबर लाइन के विभाग के पास शहर में 2400 के आसपास कनेक्शन हैं। वहीं कॉपर लाइन में ब्रांड बैंड के महज 1200 के आसपास कनेक्शन ही बचे हैं। इन कनेक्शनों कम संख्या की वजह टेलीकॉम कारोबार में बड़ी-बड़ी कंपनियों का होना और बेहतर सुविधाएं देने को माना जा सकता है।
बरेली में केंद्रीय तार घर की शुरुआत 1901 में की गई थी। तब से लेकर आज तक विभाग अपनी सेवाएं बखूबी अंजाम दे रहा है। हमारी कोशिश रहती है कि उपभोक्ताओं को बेहतर दूर संचार सेवाएं उपलब्ध कराई जाएं।-पंकज पोरवाल, जीएम, बीएसएनल, बरेली
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