हल्द्वानी: एमबीपीजी कॉलेज में प्रथम सेमेस्टर में 50 प्रतिशत विद्यार्थियों की आई बैक

एनईपी की क्रेडिट आधारित शिक्षा नहीं पड़ रही विद्यार्थियों के पल्ले 

हल्द्वानी: एमबीपीजी कॉलेज में प्रथम सेमेस्टर में 50 प्रतिशत विद्यार्थियों की आई बैक

हल्द्वानी, अमृत विचार। राष्ट्रीय शिक्षा नीति की क्रेडिट आधारित शिक्षा फिलहाल विद्यार्थियों के पल्ले नहीं पड़ रही है। एमबीपीजी कॉलेज समेत कुमाऊं विश्वविद्यालय से संबद्ध सभी महाविद्यालयों का प्रथम सेमेस्टर का परीक्षा परिणाम बेहद खराब रहा है। 

एमबी कॉलेज में स्नातक में करीब 50 प्रतिशत विद्यार्थियों की बैक या सीओपी (कैरी ओवर पेपर) आई है। तीसरे सेमेस्टर में अब इन्हें पास होने के लिए बैक पेपर देना होगा। परीक्षा परिणाम जारी होने के बाद एनईपी पाठ्यक्रम पर सवाल उठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि सरकार ने बिना तैयारी के इसे उच्च शिक्षा में लागू कर दिया है। इसी कारण ज्यादातर बच्चों की प्रथम सेमेस्टर में बैक आई है। 

 राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बीए, बीएससी, बीकॉम के विद्यार्थियों को तीन संकायों के विषयों का चुनाव करने का मौका मिला। मेजर विषय के साथ दूसरी स्ट्रीम से माइनर विषय भी छात्र-छात्राओं ने चुने। साथ ही कौशल विकास कोर्स और कोकरिकुलम से कम्यूनिकेशन स्किल पढ़ने का अवसवर भी प्राप्त हुआ, लेकिन विद्यार्थी अलग-अलग स्ट्रीम से आए क्रेडिट आधारित विषयों को समझने में पहले सेमेस्टर में नाकाम साबित हुए हैं।

एनईपी के अनुसार उन्हें दूसरे सेमेस्टर में प्रवेश तो मिल गया। मगर पहले वर्ष की पढ़ाई का सर्टिफिकेट उन्हें तभी मिल पाएगा, जब वह प्रथम और दूसरे सेमेस्टर के सभी विषयों को पास करेंगे। एमबीपीजी कॉलेज में बीए के प्रथम सेमेस्टर में 2100, बीएससी में 880, बीकॉम में 760 विद्यार्थी परीक्षा के लिए पंजीकृत थे। हाल ही में जारी हुए परीक्षा परिणाम में करीब 50 प्रतिशत छात्र-छात्राओं की बैक आई है। हालांकि यह महाविद्यालय की शिक्षा प्रणाली पर भी सवाल खड़े कर रहा है।  


माइनर विषय की अनिवार्यता का प्रभाव 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति में माइनर विषय की अनिवार्यता ने भी परीक्षा परिणाम को प्रभावित किया है। एनईपी के तहत बीए के विद्यार्थी को बीकॉम या बीएससी से, बीकॉम के विद्यार्थी को बीएससी या बीए से और बीएससी के विद्यार्थी को बीए और बीकॉम से एक माइनर विषय अनिवार्य रूप से लेना था। ज्यादातर विद्यार्थी माइनर विषय में मात खा गए। वह दूसरी स्ट्रीम के विषयों को नहीं समझ पाए। परीक्षाफल खराब होने का यह भी एक मुख्य कारण माना जा रहा है। 


कौशल विकास और कम्यूनिकशन में भी कई विद्यार्थी फेल 

एनईपी की व्यवहारिक शिक्षा में कौशल विकास कार्से और कोकरिकुलम से दिए गए कम्यूनिकेशन विषय में भी कई विद्यार्थी फेल हो गए हैं। एमबीपीजी कॉलेज में बीए में उत्तराखंड का इतिहास, बीएससी में एनालेटिकल कैमिस्ट्री और बीकॉम में फाइनेंस मैनेजमेंट का स्किल कोर्स संचालित हैं। इन पाठ्यक्रमों कई छात्र फेल हुए हैं। अनिवार्य विषय कम्यूनिकेशन स्किल को कई छात्र-छात्राएं पास नहीं कर पाए हैं। 


परीक्षाफल में भी खामियां

कुमाऊं विश्वविद्यालय की ओर से जारी राष्ट्रीय नीति के परीक्षा परिणा में भी कई खामियां सामने आई हैं। 3 से 4 विषयों में विद्यार्थियों की बैक आई है। मगर केयू ने विवि पोर्टल पर जो परीक्षाफल जारी किए हैं। उनमें मात्र दो विषयों की बैक परीक्षा देने का विकल्प आ रहा है। इससे विद्यार्थियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। 


महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं का प्रथम सेमेस्टर का परीक्षा परिणाम उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा है। ज्यादातर विद्यार्थियों की बैक आई है। कमियों को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। प्रथम सेमेस्टर के बैक पेपर तीसरे सेमेस्टर में होंगे। विद्यार्थियों को पढ़ाई पर फोकस करने की आवध्यकता है।
-डॉ. एनएस बनकोटी, प्राचार्य एमबीपीजी कॉलेज