गजब! संभल के एक गांव में ऐसा पलंग जिस पर सो सकते हैं 60 लोग

मनोटा गांव में अथर चौधरी ने बनवाया 20 फिट लंबे व अठारह फिट चौड़ा अनोखा पलंग, बुनाई में लगी है 370 किलोग्राम सामग्री

गजब! संभल के एक गांव में ऐसा पलंग जिस पर सो सकते हैं 60 लोग

संभल के मनोटा गांव में मुजफ्फर हुसैन चौधरी के आंगन में पड़ा पलंग

भीष्म सिंह देवल, अमृत विचार। कोई आपसे सवाल करे कि एक पलंग पर कितने लोग सो सकते हैं,जाहिर है आपका जवाब होगा ज्यादा से ज्यादा तीन या चार। लेकिन कोई कहे कि एक पलंग पर 60 लोग एक साथ सो सकते हैं तो क्या आप यकीन करेंगे? आपको यकीन करना पड़ेगा क्यों कि संभल जनपद के मनोटा गांव में एक परिवार ने ऐसा पलंग बनवाया है जिस पर एक साथ साठ लोग सो सकते हैं। 

मनोटा गांव के रहने वाले मुफ्फर हुसैन चौधरी का बेटा अथर चौधरी दिल्ली में वकालत करता है। एक केस में सिलसिले में हरियाणा जाना हुआ तो वहां के गांव में एक बड़ा पलग पड़ा देखा जिस पर 15-20 लोग बैठे हुक्का गुड़गुड़ा रहे थे। अथर ने उसी वक्त सोच लिया कि अपने गांव में इससे भी बड़ा पलंग बनवायेगा। गांव लौटकर बढ़ई मोहम्मद इकबाल को पलंग बनाने का जिम्मा सौंपा गया। इकबाल ने जिम्मा ले लिया मगर इतना बड़ा पलंग उसने भी पहले कभी नहीं बनाया था इसलिए कई मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा। सीशम के पाये और साल की पट्टी से बीस फीट लंबा और अठारह फिट चौड़ा पलंग तैयार कराया गया। इस पलंग को बुनने के लिए इलाके में कोई आदमी नहीं मिला तो हापुड़ जिले से जयप्रकाश नाम के बुनाई वाले को बुलाया गया। पलंग को बुनने में तीन कुंतल सत्तर किलो रस्सी बान लगा। आखिर दो महीने की मेहनत से ऐसा पलंग बनकर तैयार हो गया जिस पर एक साथ साठ लोगों को सुलाया जा सकता है। अब कहा यह जा रहा है कि एक देश का सबसे बड़ा नेचुरल पलंग है। लोहे से बड़ा पलंग बनाया जा सकता है लेकिन छोड़े पलंग की तरह लकड़ी के पाये और पाटी से इतना बड़ा पलंग बनाना आसान नहीं। 

60 बच्चों को एक साथ बैठाकर कराया रोजा इफ्तार
 पलंग बनकर तैयार हुआ तो अथर चौधरी ने रमजान माह के दौरान पलंग पर बैठाकर बच्चों को रोजा इफ्तार कराने का फैसला किया। परिवार में इतने बच्चे नहीं थे तो गांव के बच्चों को भी बुलाया गया और साठ बच्चों को पलंग पर बैठाकर एक साथ रोजा इफ्तार कराया गया। इस दौरान पलंग का नजारा ऐसा लग रहा था जैसे किसी बड़े परिसर में लोग एक साथ बैठकर खा रहे हों। 

अब बनेगा पलंग के लिए खास कमरा
होता यही है कि लोग पहले कमरा बनाकर तैयार करते हैं और फिर उसमें डालने के लिए पलंग या बेड लाते हैं,लेकिन यहां मामला उलटा है। मुजफ्फर हुसैन चौधरी व उनके बेटे अथर चौधरी ने पहले पलंग बनवाया और अब ऐसा कमरा बनवाने का प्लान बना रहे हैं जिसके अंदर यह पलंग सुरक्षित तरीके से रह सके। अभी तक चारों तरफ चार बड़े स्टूल से तिरपाल बांधकर पलंग को बरसात से बचाया जाता है। मुजफ्फर हुसैन चौधरी का कहना है कि जल्द ही पलंग का कमरा बनना शुरु हो जायेगा। 

पलंग बुनने के बाद हो गई बुनने वाले की मौत
मुजफ्फर हुसैन चौधरी का कहना है कि हापुड़ जनपद में गढ़ के निकट किसी गांव से जयप्रकाश नाम के जिस व्यक्ति को पलंग बुनने के लिए बुलाया गया था वह कहता था कि यह उसका आखिरी पलंग है। इसके बाद वह अब कोई पलंग नहीं बुनेगा। जयप्रकाश पलंग की बुनाई पूरी करने के बाद घर गया तो बाद में पता चला कि उनके यहां से जाने के दस दिन बाद ही उसकी मौत हो गई थी। 

दूरदराज इलाके से आते है लोग बड़ा पलंग देखने
मुजफ्फर हुसैन चौधरी व उनके बेटे द्वारा बनवाये गये बड़े पलंग की चर्चा दूर दूर तक है। लोग इसे देखने के लिए पहुंचते हैं। खासतौर से जब मनोटा या आसपास गांव में कोई बारात दूर से आती है तो तमाम बाराती पलंग देखने के लिए आ जाते हैं। 

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