बरेली: नहर की जमीन पर कॉलोनी बनाने वाले सोबती भाइयों पर अफसर मेहरबान

बरेली: नहर की जमीन पर कॉलोनी बनाने वाले सोबती भाइयों पर अफसर मेहरबान

बरेली, अमृत विचार। नामी बिल्डर चरनपाल सिंह सोबती और उनके भाई नैनजीत सिंह सोबती के खिलाफ नहर समेत सरकारी जमीन कब्जाने के मामले की फाइल अफसरों ने ऐसी दबाई कि महीनों बाद भी उसका अता-पता नहीं है। इस मामले में सोबती भाइयों के खिलाफ पहले 1.09 करोड़ की आरसी और फिर गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ था, जिस पर हाईकोर्ट ने तीन महीने का स्टे जारी किया। अफसरों ने न स्टे को चुनौती दी, न उसकी अवधि खत्म होने के बाद कोई कार्रवाई की। अब तहसीलदार सदर की ओर से रुहेलखंड नहर खंड के एक्सईएन को पत्र लिखा गया है।

मुख्यमंत्री का कड़ा आदेश है कि नहर, ग्राम समाज या किसी और सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले बिल्डर और माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए लेकिन बरेली में सोबती भाइयों के मामले में यह आदेश ताक पर रख दिए गए हैं। रुहेलखंड नहर खंड की ग्रीन पार्क से सटी नहर भूमि कब्जाने के दो मामलों में सोबती भाइयों के विरुद्ध 1.09 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था जिसकी वसूली अब तक नहीं हुई है। दिसंबर 2022 में आरसी जारी होने के बाद नोटिस भेजा गया तो सोबती भाइयों ने उसका जवाब तक नहीं दिया।

ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/एसडीएम सदर प्रत्यूष पांडेय ने इसके बाद चरनपाल सिंह सोबती और नैनपाल सिंह सोबती की गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया। यह वारंट लेकर पुलिस को साथ लेकर तहसील की टीम दबिश देने सोबती भाइयों के आवास पर पहुंची तो उनके वकील ने हाईकोर्ट का स्टे उसके सामने रख दिया। हाईकोर्ट ने इस आदेश में तीन महीने तक कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।

तहसीलदार सदर की ओर से हाईकोर्ट के स्टे ऑर्डर के विरुद्ध अपील करने के लिए रुहेलखंड नहर खंड के अफसरों को कई पत्र लिखे गए, लेकिन नहर खंड के अधिकारियों ने भी इसका कोई जवाब नहीं दिया। लिहाजा यही पता नहीं लग पाया कि नहर खंड ने हाईकोर्ट में कोई पैरवी भी की या नहीं। हाईकोर्ट के स्टे के तीन महीने की अवधि खत्म होने के बाद भी नहर खंड के अफसरों की खामोशी बरकरार है।

तहसीलदार सदर राम नयन सिंह की ओर से 18 मई को फिर रुहेलखंड नगर खंड के अधिशासी अभियंता को पत्र लिखा गया है जिसमें उनसे पूछा गया कि 14 दिसंबर 2022 को जारी हाईकोर्ट के स्टे के विरुद्ध उनके स्तर से क्या कार्यवाही की गई, इस बारे में कोई जानकारी न देना बहुत खेदजनक है। उनसे जल्द ही इस संबंध में रिपोर्ट मांगी गई है।

24 साल पहले डाला गया था 10.86 लाख का जुर्माना
नहर की जमीन कब्जाने के मामले में सिटी मजिस्ट्रेट कोर्ट में एक जून 1999 से लेकर 30 सितंबर 2001 तक सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने इस मामले में सोबती भाइयों पर 10,86064 रुपये का जुर्माना लगाया था। इसके बाद एक अक्टूबर 2001 से 15 नवंबर 2022 तक प्रतिमाह 38788 रुपये के हिसाब से धनराशि जोड़ते हुए 98,32,758 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। इसके बाद उप्र सार्वजनिक भू-गृहादि अप्राधिकृत बेदखली अधिनियम 1972 की धारा-07 के तहत 16 नवंबर 2022 को अधिशासी अभियंता की ओर से 1 करोड़ 9 लाख 18 हजार 822 रुपये का वसूली प्रमाणपत्र (आरसी) जारी किया गया। आरसी तहसील सदर पहुंचने के बाद तत्कालीन तहसीलदार सदर अनिल यादव ने 28 नवंबर 2022 को मांग का अधिपत्र चरन पाल सिंह सोबती और नैनजीत सिंह सोबती के नॉर्थ सिटी कॉलोनी स्थित आवास पर भेजा था।

पहले सोबती बिल्डर्स हाईकोर्ट से स्टे ले आए थे। बाद चुनावी व्यस्तता के कारण कार्रवाई नहीं हो पाई। हाल ही में प्रशासन के अधिकारियों से वार्ता हुई है। सोमवार से आगे कार्रवाई के लिए तैयारी शुरू की जाएगी। - मुकेश कुमार, अधिशासी अभियंता रुहेलखंड नहर खंड

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