बरेली: 55 साल का नजूल भूमि पर बना अग्निशमन केंद्र के भवन जर्जर, 9 साल से फाइल फंसी

जर्जर आवासीय-अनावासीय भवनों को न ध्वस्त के आदेश हुए और न ही नए भवन बनाने की मिल रही है मंजूरी

बरेली: 55 साल का नजूल भूमि पर बना अग्निशमन केंद्र के भवन जर्जर, 9 साल से फाइल फंसी

बरेली, अमृत विचार। 55 साल की उम्र पूरी कर चुके अग्निशमन केंद्र के आवासीय-अनावासीय भवन अब जर्जर हो गए हैं। 1968 में तत्कालीन नगर पालिका ने बरेली कॉलेज के नजदीक नजूल भूमि पर अग्निशमन कार्यालयों की स्थापना कराई थी लेकिन यह भूमि विभाग को हस्तांतरित नहीं हो पाई। अब भवनों के साथ आवास इतने जर्जर हो गए हैं कि हर वक्त कार्यालय और आवासों में रहने वाले अधिकारी-कर्मचारियों को जानमाल का अत्यधिक खतरा बना रहता है।

2014 में जर्जर अग्निशमन केंद्र के आवासीय और अनावासीय भवनों के स्थान पर नए भवनों के निर्माण के लिए उप्र आवास एवं विकास परिषद काे कार्यदायी संस्था नामित करते हुए 4 करोड़ रुपये की धनराशि भी अनुमन्य कर दी थी लेकिन अग्निशमन केंद्र की भूमि विभाग के नाम न होने के कारण अभी तक जर्जर भवनों का ध्वस्तीकरण नहीं हो पाया है। इससे नवीन निर्माण कार्य भी लटका हुआ है।

हाल ही में उप महानिरीक्षक अग्निशमन एवं आपात सेवा जुगल किशोर ने जिलाधिकारी बरेली को भेज नजूल भूमि हस्तांतरित कराने की मांग रखते हुए चिट्ठी भेजी है। जिसमें कहा है कि अग्निशमन केंद्र नगर निगम द्वारा प्रदत्त भवनों में संचालित है जो अत्यधिक जीर्ण-क्षीर्ण अवस्था में हो चुके हैं। जिसके कारण वहां रहने वाले अधिकारी-कर्मचारियों के परिवारीजनों तथा कार-सरकार से अग्निशमन केंद्र पर आने वाले जनसामान्य जीवन को भी खतरा है।

इस कारण पुराने भवनों को ध्वस्त कराते हुए नए भवन बनाना बेहद आवश्यक है ताकि कोई अप्रिय घटना घटित होने से बचा जा सके। चिट्ठी में उप महानिरीक्षक ने कहा है कि 2238.78 वर्ग मीटर नजूल भूमि पर अग्निशमन केंद्र की स्थापना 14 नवंबर 1968 में की गई थी। जिसमें नगर पालिका बरेली ने अपनी फायर सर्विस की भूमि भवन, अग्निशमन उपकरण इत्यादि पुलिस विभाग बरेली को दिए थे।

वर्तमान में अग्निशमन केंद्र की भूमि अभिलेखीय रूप से पुलिस विभाग (फायर सर्विस) के नाम हस्तानांतरित नहीं है। जिस कारण अग्निशमन केंद्र के आवसीय/अनावासीय भवनों को निष्प्रोज्य कराना एवं नए भवन का निर्माण पुलिस विभाग (फायर सर्विस) संभव नहीं हो पा रहा है। इधर मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी ने डीआईजी की चिट्ठी अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व को भेजी है। नजूल भूमि के मामले में अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व ही नोडल अधिकारी हैं।

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