नया संसद भवन भारत के लोगों की आकांक्षाओं का प्रतीक है: राज्यसभा के उपसभापति

नया संसद भवन भारत के लोगों की आकांक्षाओं का प्रतीक है: राज्यसभा के उपसभापति

नई दिल्ली। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने रविवार को नए संसद भवन के उद्घाटन को ऐतिहासिक एवं अविस्मरणीय बताते हुए कहा कि यह इमारत केवल ईंट और पत्थर का ढांचा नहीं है, बल्कि यह भारत के लोगों की उम्मीदों एवं आकांक्षाओं को पूरा करने का जरिया है। हरिवंश ने नए संसद भवन को ‘भारतीय लोकतंत्र का श्रद्धा स्थल’ बताते हुए वहां मौजूद लोगों का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि नए भवन में कई अहम फैसले किए जाएंगे।

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हरिवंश ने अपने स्वागत संबोधन में कहा, ‘‘यह भवन केवल ईंट और पत्थर का ढांचा नहीं है, बल्कि देश की सर्वोच्च निर्वाचित संस्था के तौर पर भारत के लोगों की उम्मीदों एवं आकांक्षाओं को पूरा करने का माध्यम है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह इमारत ‘वास्तुकला’ का सटीक उदाहरण है, जिसमें सांस्कृतिक विरासत और विविधता की झलक दिखती है। यह संसद की आवश्यकताओं के अनुसार सुंदरता एवं प्रौद्योगिकी का भी मिश्रण है।’’

हरिवंश ने कहा कि नयी इमारत में लोकसभा और राज्यसभा दोनों के लिए बैठने का अपेक्षाकृत अधिक स्थान है, एक एकीकृत मल्टी-मीडिया प्रदर्शन सुविधा है और सुरक्षित मतदान के लिए सुविधाएं हैं। उन्होंने कहा, ‘‘लोकतंत्र की गौरवशाली यात्रा में आज का दिन मील का पत्थर है। अगले 25 साल में जब हम अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएंगे तो यह नया संसद भवन अमृत काल में जनप्रतिनिधियों के लिए प्रेरणा स्रोत साबित होगा।’’

हरिवंश ने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि हमारी संसद हमारे देश के सुनहरे भविष्य के निर्माण के लिए कई फैसले लेगी..वह दिन दूर नहीं जब भारत लोकतांत्रिक देशों में शीर्ष पर होगा और पूरी दुनिया का नेतृत्व करेगा।’’ उन्होंने अपने नेतृत्व के जरिए सभी भारतीयों की आशाओं और आकांक्षाओं को आकार देने और ढाई साल में नए संसद भवन का निर्माण कराने में मदद के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भी आभार व्यक्त किया।

हरिवंश ने कहा, ‘‘हम सभी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आभारी हैं जिन्होंने भारत की आजादी के अमृत काल में अपने कुशल नेतृत्व और असाधारण प्रयासों से स्वतंत्र भारत के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं के अनुरूप नए संसद भवन के विचार को आकार दिया। इसके लिए मैं भारत की जनता और अपनी ओर से उन्हें धन्यवाद देता हूं।’’ राज्यसभा के उप सभापति ने कहा कि पुरानी संसद देश की स्वतंत्रता के साथ-साथ संविधान के निर्माण एवं कई अन्य ऐतिहासिक घटनाओं की गवाह बनी।

उन्होंने कहा कि बदलते समय के साथ सांसदों ने दोनों सदनों के सुचारू संचालन के लिए आधुनिक सुविधाओं और प्रौद्योगिकी से लैस नए भवन की आवश्यकता महसूस की। हरिवंश ने कहा कि निकट भविष्य में सांसदों की संख्या में संभावित वृद्धि के बाद उनके समायोजन के अनुसार इमारत की परिकल्पना की गई है। इससे पहले, प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र को नया संसद भवन समर्पित किया।

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