कानपुर में अमृत विचार ने उर्सला अस्पताल के निदेशक से की बातचीत, बोले- जिला अस्पताल और चिकित्सकों की कमी, फिर भी सबके इलाज की कोशिश
कानपुर में अमृत विचार ने उर्सला अस्पताल के निदेशक से बातचीत की।
कानपुर में अमृत विचार ने उर्सला अस्पताल के निदेशक से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि जिला अस्पताल और चिकित्सकों की कमी है। फिर भी सबके इलाज की कोशिश रहती है।
कानपुर, अमृत विचार। उर्सला अस्पताल को कानपुर नगर के जिला अस्पताल का दर्जा प्राप्त है। यहां पर मरीजों का इलाज करने के स्थान पर रेफर करने के आरोप लगते रहते हैं। इस मसले पर उर्सला अस्पताल के निदेशक डॉ. एसपी चौधरी का कहना है कि जिला अस्पताल होने के बावजूद यहां चिकित्सकों की कमी है, फिर भी यहां सबके इलाज की कोशिश की जा रही है। जिला अस्पताल में इलाज को लेकर लग रहे तमाम आरोपों से उपलब्ध सुविधाओं तक, उन्होंने विकास कुमार से खुलकर बात की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश:
- उर्सला अस्पताल जिला अस्पताल है, इसके बावजूद यहां मरीजों का इलाज करने के बजाय उन्हें हैलट रेफर कर दिया जाता है। ऐसा क्यों?
- ऐसा नहीं है। उर्सला अस्पताल में कई स्वास्थ्य सुविधाओं का इजाफा होने से मरीजों को काफी सहूलियत मिली है। अब यहां से मरीजों को न के बराबर ही रेफर किया जा रहा है। इसका उदाहरण अप्रैल का आंकड़ा है, जो बताता है कि एक माह में उर्सला इमरजेंसी में 1293 मरीज इलाज के लिए आए, उनमें से सिर्फ 190 मरीजों को ही रेफर किया गया। को आए, इनमें से सिर्फ 190 मरीजों को ही हायर सेंटर रेफर किया गया है।
- फिर भी, रेफर करने की नौबत क्यों आती है। डॉक्टर कम हैं क्या?
- देखिये, अस्पताल में 68 डॉक्टर हैं। इनमें 41 चिकित्सक पूर्णकालिक प्रांतीय चिकित्सा सेवा के हैं, 21 डॉक्टर एनआरएचएम से हैं। छह चिकित्सक पुनर्नियुक्ति पर है। ये सभी ओपीडी के साथ वार्ड में भी ड्यूटी करते हैं।
- जिला अस्पताल होने के बावजूद सर्जरी तक ठीक से नहीं होती हैं। लोग क्यों भरोसा करें?
- हमारे पास जितने डॉक्टर हैं, वे पूरे प्राणपण से काम करते हैं, इसलिए भरोसे का संकट नहीं है। हड्डी रोग विभाग में सिर्फ एक सर्जन हैं। सामान्य सर्जरी में चार शल्य चिकित्सकों में से दो सेवानिवृत्त हैं और एक विकलांग हैं। विकलांग सर्जन भी पर्याप्त काम करते हैं। एक सर्जन पर ज्यादा लोड है। सर्जरी के लिए एनेस्थीशिया विशेषज्ञ की भी कमी है। यहां पांच एनेस्थीशिया विशेषज्ञों की जरूरत है किन्तु हैं एक भी नहीं। इस कारण भी सर्जरी में दिक्कत होती है। मजबूरन एक सेवानिवृत्त चिकित्सक को बुलाना पड़ता है।
- फिर भी लोग उर्सला अस्पताल को इलाज के लिए प्राथमिकता क्यों नहीं देते?
- ऐसा नहीं है। लोग पूरे भरोसे से उर्सला अस्पताल आते हैं और उन्हें यहां अच्छा इलाज भी मिलता है। बच्चों के इलाज की ही बात कर लीजिए। अस्पताल में बच्चों के लिए विशेष वार्ड तो है ही, वहां चौबीस घंटे बाल रोग विशेषज्ञ उपलब्ध रहते हैं। इसी तरह अभी तक सीटी स्कैन की सुविधा नहीं थी, जिस कारण मरीजों को भटकना पड़ता था। अब यहां सीटी स्कैन मशीन लग गयी है, इसलिए वह दिक्कत भी खत्म हो गयी है।
- आपकी नजर में उर्सला की यूएसपी यानी विशेषता क्या है। लोग इलाज कराने यहां क्यों आएं?
- उर्सला अस्पताल में सिर्फ एलोपैथी इलाज नहीं होता। यहां आयुर्वेदिक व यूनानी चिकित्सक भी बाह्य रोगी विभाग में बैठते हैं। उन्हें दवाएं भी मिलती हैं। मरीजों में सुरक्षा का भाव जगाने के लिए सभी जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। उनके माध्यम से अस्पताल के कर्मचारियों व चिकित्सा सहयोगियों पर भी नजर रखी जाती है। जरूरत के अनुरूप अस्पताल में प्राइवेट वार्ड की भी व्यवस्था है और उर्सला के प्राइवेट वार्ड निजी अस्पतालों को टक्कर देते हैं।
