भारत-पाकिस्तान समेत इन देशों पर 3 दिन भारी, 'बिपरजॉय' का खतरा पकड़ रहा रफ्तार
Cyclone Biporjoy। देश के तटीय इलाकों में बिपरजॉय (BIPARJOY ) चक्रवात का खतरा दिन पर दिन तेजी से बढ़ रहा है। दक्षिण पश्चिम मॉनसून ने अपने सामान्य समय से एक सप्ताह के विलंब के बाद बृहस्पतिवार को भारत में दस्तक दे दी। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने मॉनसून के केरल आगमन की घोषणा की है।
मौसम विभाग के वैज्ञानिकों के मुताबिक चक्रवात बिपरजॉय अगले 48 घंटों यानी शनिवार (10 जून) तक एक गंभीर चक्रवाती तूफान में बदल जाएगा। साथ ही अगले तीन दिनों के दौरान उत्तर भारत की ओर बढ़ जाएगा। मालूम हो कि अरब सागर में साल के पहले प्री मानसून तूफान का नाम 'बिपारजॉय' रखा जाएगा, जिसका बांग्लादेश ने सुझाव दिया है।
आईएमडी के मुताबिक चक्रवात कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र और गुजरात के तटीय क्षेत्रों से बहुत दूर जा रहा है, लेकिन तटीय इलाकों में कुछ तेज़ हवाएं चल सकती हैं और कुछ हिस्सों में भारी बारिश होगी। इसके अलावा इस चक्रवात का लैंडफॉल पाकिस्तान में होने की संभावना है।
3 दिनों में बेहद गंभीर होगा चक्रवाती तूफान
आईएमडी ने गुरुवार को ट्वीट कर बताया है कि चक्रवाती तूफान बिपरजॉय पूर्व-मध्य अरब सागर के ऊपर 8 जून को 08:30 IST पर केंद्रित है, अक्षांश 14.0N के पास और 66.0E लंबा, गोवा से लगभग 850 किमी पश्चिम-दक्षिण पश्चिम में, मुंबई से 900 किमी दक्षिण-पश्चिम में, पोरबंदर से 930 किमी दक्षिण-दक्षिण पश्चिम में और 1220 किमी दक्षिण में कराची की और तीव्र होगा। साथ ही अगले तीन दिनों के दौरान और तेज होगा। मौसम विभाग के मुताबिक, अगले 3 दिनों में ये बेहद गंभीर चक्रवाती तूफान के रूप में बदल सकता है। आईएमडी ने पहले ही 8 से 10 जून तक समुद्र में बहुत ऊंची लहरें उठने की संभावना जताई है। इस सिस्टम के 12 जून तक एक बहुत गंभीर चक्रवात की ताकत को बनाए रखने की संभावना है।
VSCS BIPARJOY over eastcentral Arabian Sea, lay centered at 0530hrs IST of 08thJune, near lat 13.9N & long 66.0E, about 860km west-southwest of Goa, 910km southwest of Mumbai, would intensify further & move north-northwestwards. pic.twitter.com/6HiSydw2qI
— India Meteorological Department (@Indiametdept) June 8, 2023
इन राज्यों में अलर्ट
मौसम विभाग ने समुद्री किनारे वाले शहरों में प्रशासन को अलर्ट कर दिया है। इसका सबसे ज्यादा असर गुजरात के समुद्री किनारे के शहरों में देखने मिल सकता है। साथ ही समुद्र में ऊंची लहरें उठने की भी संभावना जताई गई है। लक्षद्वीप, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्रों में चक्रवात के प्रभाव पड़ने की संभावना है। आईएमडी ने इन क्षेत्रों में अगले पांच दिनों के लिए हवा की चेतावनी जारी की है।
मौसम विज्ञानियों ने इससे पहले कहा था कि चक्रवात ‘बिपरजॉय’ मॉनसून को प्रभावित कर रहा है और केरल में इसका शुरुआत ‘‘मामूली’’ होगी। आईएमडी ने बृहस्पतिवार को एक बयान में कहा, ‘‘दक्षिण पश्चिम मॉनसून आज आठ जून को केरल पहुंच गया।’’
बयान में कहा गया है, ‘‘मॉनसून दक्षिण अरब सागर के शेष हिस्सों और मध्य अरब सागर के कुछ हिस्सों तथा समूचे लक्षद्वीप क्षेत्र, केरल के अधिकतर क्षेत्र, दक्षिण तमिलनाडु के अधिकतर हिस्सों, कोमोरिन क्षेत्र के शेष हिस्सों, मन्नार की खाड़ी और दक्षिण पश्चिम, मध्य एवं उत्तर पूर्व बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों की ओर बढ़ रहा है।’’
दक्षिण पश्चिम मॉनसून आम तौर पर केरल में एक जून तक पहुंच जाता है और सामान्यत: एक जून से करीब सात दिन पहले या बाद में यह पहुंचता है। मई के मध्य में आईएमडी ने कहा था कि मॉनसून केरल में चार जून के आसपास पहुंच सकता है। निजी मौसम पूर्वानुमान केंद्र ‘स्काईमेट’ ने केरल में सात जून को मॉनसून के आगमन का अनुमान जताया था और कहा था कि मॉनसून सात जून से तीन दिन आगे पीछे आ सकता है।
आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 150 वर्षों में केरल में मॉनसून की शुरुआत की तारीख भिन्न रही है, जो 1918 में समय से काफी पहले 11 मई को और 1972 में सबसे देरी से 18 जून को आया था। दक्षिण-पश्चिम मॉनसून पिछले साल 29 मई को, 2021 में तीन जून को, 2020 में एक जून, 2019 में आठ जून और 2018 में 29 मई को केरल पहुंचा था। शोध से पता चलता है कि केरल में मॉनसून के आगमन में देरी का मतलब यह नहीं है कि उत्तर पश्चिम भारत में मॉनसून की शुरुआत में देरी होगी। हालांकि, केरल में मॉनसून के आगमन में देरी आम तौर पर दक्षिणी राज्यों और मुंबई में मॉनसून की शुरुआत में देरी से जुड़ी होती है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि केरल में मॉनसून के आगमन में देरी भी इस मौसम के दौरान देश में कुल वर्षा को प्रभावित नहीं करती। आईएमडी ने पहले कहा था कि ‘अलनीनो’ की स्थिति विकसित होने के बावजूद दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के मौसम में भारत में सामान्य बारिश होने की उम्मीद है। उत्तर पश्चिम भारत में सामान्य या उससे कम बारिश होने की उम्मीद है। पूर्व और उत्तर पूर्व, मध्य और दक्षिण प्रायद्वीप में इस दौरान औसत की 94 से 106 प्रतिशत सामान्य वर्षा होने की उम्मीद है।
मॉनसून की अवधि के दौरान औसत के 90 प्रतिशत से कम बारिश को ‘वर्षा में कमी’ माना जाता है, 90 फीसदी से 95 फीसदी के बीच बारिश को ‘सामान्य से कम वर्षा’, 105 फीसदी से 110 फीसदी के बीच होने वाली बारिश को ‘सामान्य से अधिक वर्षा’ और 100 फीसदी से ज्यादा होने वाली बारिश को ‘अत्यधिक वर्षा’ माना जाता है। भारत के कृषि परिदृश्य के लिए सामान्य वर्षा महत्वपूर्ण है। कुल कृषि क्षेत्र का 52 प्रतिशत वर्षा पर निर्भर है। यह देश भर में बिजली उत्पादन के अलावा पीने के पानी के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों को फिर से भरने के लिए भी अहम है। देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन में वर्षा आधारित कृषि का लगभग 40 प्रतिशत योगदान है, जो इसे भारत की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
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