तीसरे चरण के पहले परीक्षण में चिकनगुनिया का टीका सुरक्षित एवं प्रभावी पाया गया: लांसेट अध्ययन
नई दिल्ली। चिकनगुनिया को रोकने के लिए एकल खुराक वाला टीका तीसरे चरण के पहले परीक्षण में सुरक्षित और इस बीमारी के खिलाफ मजबूत रोग प्रतिरोधी क्षमता विकसित करने वाला पाया गया है। द लांसेट पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में यह बताया गया है।
अध्ययन के अनुसार, अनुसंधानकर्ता अभी यह पता नहीं लगा पाए हैं कि क्या फ्रांसीसी बॉयोटेक कंपनी वालनेवा द्वारा विकसित वीएलए1553 टीका बाद में होने वाली स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं से बचाता है या नहीं, क्योंकि इस अध्ययन को उन क्षेत्रों में नहीं किया गया है, जहां चिकनगुनिया एक महामारी है।
चिकनगुनिया मच्छर जनित बीमारी है, जो चिकनगुनिया वायरस (चिकवी) के कारण होती है। इससे संक्रमित मच्छर के काटने पर मरीजों को करीब चार से आठ दिन तक बुखार रहता है। इसके लक्षणों में सिरदर्द, थकान, मतली और मांसपेशियों एवं जोड़ों में गंभीर दर्द शामिल हैं।
इस संक्रमण को रोकने के लिए इस समय कोई स्वीकृत टीका नहीं है और न ही इस बीमारी के लिए कोई प्रभावशाली विषाणुरोधी उपचार उपलब्ध है। अध्ययन की मुख्य लेखक एवं वालनेवा में ‘क्लीनिकल स्ट्रैटेजी मैनेजर मार्टिना श्नाइडर ने कहा, यह महामारी प्रभावित क्षेत्रों या किसी आगामी संक्रमण के खतरे वाले इलाकों में रह रहे और वहां यात्रा करने वाले लोगों के लिए चिकनगुनिया का पहला टीका हो सकता है।
उन्होंने एक बयान में कहा, हमारे आशाजनक परिणामों ने टीकाकरण के बाद एंटीबॉडी स्तरों की अच्छी मौजूदगी दिखाई है, जो चिकनगुनिया का प्रकोप अचानक फिर से सामने आने की आशंका के मद्देनजर महत्वपूर्ण है। अधिक उम्र के लोगों में चिकनगुनिया के गंभीर संक्रमण और उससे मौत का खतरा अधिक होता है, इसलिए अध्ययन में शामिल बुजुर्गों में पाई गई मजबूत प्रतिरोधी क्षमता विशेष रूप से फायदेमंद हो सकती है।
वालनेवा में चिकनगुनिया टीका कार्यक्रम की निदेशक एवं अध्ययन की लेखक कैटरीन दुबिशर ने कहा कि चिकनगुनिया को रोकने के लिए कोई समर्पित उपचार या टीका उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा, इसे इस समय विश्व स्तर पर फैल सकने वाले वायरस में से एक माना जाता है और अध्ययनों से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन उन मच्छरों की संख्या को बढ़ा रहा है जो इसे दुनिया के नए क्षेत्रों में ले जाते हैं।
इसलिए, भविष्य में संक्रमण के प्रकोप से निपटने को तैयार रहने के लिए प्रभावी टीका होना महत्वपूर्ण है। इस अध्ययन में अमेरिका के 43 अध्ययन स्थलों के 4,115 स्वस्थ वयस्कों को शामिल किया गया। लेखकों ने अपने अध्ययन की कुछ सीमाओं का भी जिक्र किया। यह अध्ययन महामारी से प्रभावित क्षेत्र में नहीं किया गया, इसलिए प्रतिभागियों में चिकनगुनिया वायरस के प्रति पहले से रोग प्रतिरोधी क्षमता होने का पता नहीं है और ना ही इस आबादी में टीके की सुरक्षा को लेकर जानकारी है।
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