कानुपर : बिजनेस में मिला धोखा तो युवक ने हाथ की नस काटने के बाद लगाया फंदा, छोड़ा सुसाइड नोट

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
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कानपुर, अमृत विचार। बर्रा में कारोबारी साथी की धोखाधड़ी से परेशान युवक ने फंदे से लटककर खुदकुशी कर ली। फांसी लगाने से पहले उसने अपने हाथ की नस काटी। हैलट में स्टाफ नर्स पत्नी जब काम घर पहुंची तो फंदे पर पति का शव लटका देखकर चीख पड़ी। सूचना पर पुलिस ने जांच की। फॉरेसिंक टीम ने दो पेज का सुसाइट नोट कब्जे में लिया है। पुलिस बिजनेस पार्टनर की तलाश में दबिश दे रही है।

विश्व बैंक डी-ब्लॉक निवासी 46 वर्षीय ओमेंद्र सिंह साक्षे में सोलर पैनल का काम करते थे। परिवार में मां रामवती, पत्नी अंजना, दो बेटे मांडव्य व मार्तंडय हैं। जब बड़ा भाई उदय नोएडा सिंह स्थित एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैसेजर के पद पर कार्यरत है। उदय ने बताया कि करीब छह साल से वह सोलर पैनल का काम कर रहे थे। जिसमें दामोदरनगर निवासी दिव्येंद्र साक्षेदार हैं। जो ओमेंद्र से धोखाधड़ी कर रहा था।

पता चलने पर उसका दिव्येंद्र से विवाद भी हुआ था। जिससे वह तनाव में रह रहा था। उन्होंने बताया कि सोमवार शाम हैलट में स्टाफ नर्स होने के कारण अंजना काम पर थी, जबकि मां व बच्चे घर में पहले मंजिल पर बने कमरों में बैठे थे। इसी बीच ओमेंद्र बाहर से आया और दूसरे मंजिल पर आराम करने चला गया। जब अंजना काम से लौटी तो उसने पति के बारे में पूछा। ऊपर कमरे में गई तो फंदे से ओमेंद्र का शव लटका देखकर चीख पड़ी।

सूचना पाकर पहुंची पुलिस ने जांच-पड़ताल की। ओमेंद्र के पास दो पेज का सुसाइट नोट मिला है, जिसे फॉरेंसिक ने जांच के बाद अपने कब्जे में लिया है। परिजनों के अनुसार ओमेंद्र ने आत्महत्या से पहले अपने हाथ की नस भी सात बार काटी थी। जिससे खून बह रहा था। पुलिस ने खून लगा चाकू बरामद किया है। बर्रा थाना प्रभारी रवींद्र कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि सुसाइड नोट के आधार पर कारोबारी साझेदार के घर दबिश दी गई, लेकिन वह फरार है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। परिजनों की तहरीर के आधार पर कार्रवाई की जा रही है।

योगीजी न्याय प्रिय, न्याय दिलाएं 

ओमेंद्र ने दो पन्ने में सुसाइड नोट लिखा है। खुद को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बताते हुए लिखा है कि योगीजी न्याय प्रिय हैं, मैंने जीवन में कोई ऐसा काम नहीं किया जो गलत हो, पूरे जीवन ईमानदारी से काम किया। उस पर मेरा यह हश्र हुआ। मेरी मौत का जिम्मेदार साक्षेदार दिव्येंद्र है। दिव्येंद्र के साथ काम करना मेरी गलती है। वहीं दूसरे पेज पर परिवार के लिए लिखा है। योगीजी मेरे मरने के बाद मेरे परिवार को परेशान न किया जाए। आप न्यायप्रिय हैं, मैं आपका बड़ा प्रशंसक रहा हूं। आप पर पूरा भरोसा है, मेरे परिवार को न्याय दिलाएं। 

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