प्रयागराज : धर्म परिवर्तन मामले में शुआट्स के कुलपति की याचिका खारिज
अमृत विचार, प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सैम हिग्गिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज (शुआट्स) के कुलपति डॉ राजेंद्र बिहारी लाल तथा सात अन्य लोगों को गैरकानूनी ढंग से से एक आदमी का धर्म परिवर्तन कराने के आरोप में राहत देने से इंकार कर दिया है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति गजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने पारित करते हुए कहा कि मौजूदा मामले में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध कानून, 2021 की धारा 3 और 5 स्पष्ट रूप से असंवैधानिक प्रतीत नहीं होती है।
थाना कोतवाली, फतेहपुर में फरवरी 2023 को आईपीसी की धारा 120-बी और उत्तर प्रदेश धर्म परिवर्तन प्रतिषेध कानून अधिनियम, 2021 की धारा 3, 5 और 12 के तहत दर्ज प्राथमिकी पर विचार करते हुए कोर्ट ने कहा कि आरोपियों द्वारा शिकायतकर्ता को प्रलोभन देने के सीधे आरोप लगाए गए हैं। अतः इस तरह के आरोप प्रथम दृष्टया उपरोक्त अधिनियम की धारा तीन के तहत गठित अपराध होते हैं।
अधिनियम की धारा 3 में यह प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति गलत बयानबाजी, अनुचित प्रभाव, प्रलोभन या किसी अन्य के उपयोग या अभ्यास द्वारा सीधे या कपटपूर्ण साधन से किसी व्यक्ति का धर्म परिवर्तन कराने का प्रयास करता है तो उसके लिए उक्त अधिनियम की धारा 3 के उल्लंघन पर धारा 5 के तहत सजा का प्रावधान बनता है। याचियों की ओर से कोर्ट से अग्रिम जमानत, एफआईआर को रद्द करने की प्रार्थना के साथ-साथ उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध कानून, 2021 की धारा 3 और 5 को असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया गया था।
अंत में कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि याचियों द्वारा पहले शिकायतकर्ता को प्रलोभन देने के सीधे आरोप लगाए गए हैं, इसलिए धारा 3 के तहत अपराध बनता है। इसके साथ ही याचियों को अंतरिम राहत देने का कोई औचित्य नहीं दिखाई देता है। इसके अलावा विवादित प्राथमिकी को तब तक रद्द नहीं किया जा सकता है, जब तक धारा 3 और 5 को असंवैधानिक घोषित ना किया जाए। हालांकि न्यायालय ने यह भी कहा कि अधिनियम की कुछ धाराओं के अधिकार को चुनौती दी गई है, इसलिए विपक्षियों को 2 सप्ताह के भीतर संबंधित मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है।
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