रायबरेली : गरीबों की जिंदगी का अंधेरा दूर कर रहे राकेश सिंह राना

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Published By Jagat Mishra
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सेवाभाव के संबल से 13 सालों में  दस हजार लोगों की आंखों की लौटाई रोशनी

जगतपुर / रायबरेली, अमृत विचार। बड़े बुजुर्ग कहते हैं आँख सलामत - तो सब सलामत। आंख से दुनिया देखी जाती है, अपने-पराये का फर्क समझा जाता है। लेकिन यदि विधाता की दी यह अनमोल निधि न हो तो जीवन में अंधेरे के सिवा कुछ नहीं बचता। जिंदगी हर दिन घुटती है। ऐसे में यदि कोई आंखों का नूर बन जाए तो वह देवदूत सरीखा होता है। कुछ ऐसा ही पूरब गांव ग्राम पंचायत के पूरे विजय सिंह निवासी राकेश सिंह राना कर रहे हैं। वह बीमार आंखों को अपने प्रयासों से रोशनी देकर कितने ही लोगों के जीवन में खुशियां भर चुके हैं। 

सामाजिक संस्था के सहयोग से आपरेशन और इलाज का पूरा खर्च वहन किया जाता है लेकिन उसकी अगुवाई राकेश ही करते हैं। निःशुल्क कैंप लगाकर अब तक वह करीब दस हजार लोगों के अंधेरे होते जीवन में रोशनी भर चुके है। बात  वर्ष  2010- 11 की है   जब आंखों का ऑपरेशन आम गरीब लोगों की पहुंच से दूर था, तब जिला पंचायत सदस्य राकेश राना ने मुंशीगंज नेत्र  चिकित्सालय अमेठी के  सहयोग से जगतपुर कस्बे सहित ब्लॉक के विभिन्न  गांव में नेत्र शिविर का आयोजन करवाना शुरु किया।  इन शिविर में गांव के गरीब लोग अपनी आंखों का इलाज भी करवाने  लगे,  और मोतियाबिंद का ऑपरेशन भी  होने लगा। यह सहूलियत गांव में मिलने से गरीब लोगों का दुनिया को दुबारा निहारने का सपना पूरा होने लगा। 

समय के साथ इन्होंने लोगों की सहूलियत के लिए प्रत्येक माह के प्रथम सोमवार को इन शिविरों का आयोजन जगतपुर कस्बे में करने लगे । विगत कई सालों से यह शिविर लगातार जारी है। राकेश राना बताते हैं कि जब दृष्टिहीन लोगों को देखते थे तो एक हूक सी उनके दिल में उठती थी कि इनके दिन रात कैसे कटते होंगे। अंधता का शिकार लोगों की बदरंग होती दुनिया को देखकर उनके दिल में उनकी मदद का जज्बा उठा तो उन्होंने बेनूर आखों को रोशन करने का संकल्प ले लिया।

शिविरों को देखकर जागी उम्मीद 
राकेश बताते हैं कि वह लोगों की आखों को रोशन करने की उधेड़बुन में लगे थे ,तभी उनके मित्र प्रमेंद्र पाल गुलाटी हरचंदपुर में कैंप का आयोजन करते थे। उनके सहयोग और प्रेरणा से जगतपुर में कैंप का आयोजन शुरू किया , और बीते तेरह सालों में 100 के लगभग कैंप का अयोजन इनके द्वारा किया जा चुका है । उन्होंने कहा कि नेत्र शिविर के साथ-साथ उन्होंने दातों के शिविर और तमाम हेल्थ शिविर क्षेत्र में करवा चुके है ।
 
उन्होंने कहा जब गांव के गरीब और अंतिम व्यक्ति इन कैंपों के जरिए अपनी आंखों की रोशनी पाता है । इससे ज्यादा खुशी का कोई अवसर नहीं आता अब तक  दस हजार से अधिक लोग की आंखों का ऑपरेशन इन कैंपों के जरिए हो चुका है ।

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