अयोध्या : भाई बलराम व सुभद्रा के साथ नगर भ्रमण पर निकले भगवान जगन्नाथ

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Published By Jagat Mishra
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अयोध्या के कई मंदिरों से निकाली गई भगवान जगन्नाथ की शोभायात्रा

अयोध्या, अमृत विचार। जगन्नाथपुरी उड़ीसा की तर्ज पर रामनगरी के दर्जनों मंदिरों से मंगलवार को भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा निकाली गई। दिव्य-भव्य रथ पर सवार भगवान जगन्नाथ के दर्शन को भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा। भगवान जगन्नाथ के जय जयकार के उद्घोष से देर शाम तक रामनगरी गूंजती रही। रथयात्रा का भक्तों द्वारा जगह-जगह पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया व भगवान की आरती उतारी गई। 

मान्यता के अनुसार ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को भगवान बीमार हो जाते हैं। 15 दिन तक भक्तों को दर्शन नहीं देते। ठीक होने के बाद वह भाई बलराम व बहन सुभद्रा के साथ स्वयं रथ पर सवार होकर भक्तों को दर्शन के लिए नगर भ्रमण को निकलते हैं। यहीं से रथयात्रा का प्रारंभ माना जाता है। इस परंपरा के निर्वहन के क्रम में रामनगरी में भी मंगलवार शाम भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम व बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण पर निकले।     
     
रामजन्मभूमि से सटे जगन्नाथ मंदिर से निकली रथयात्रा भक्तों की श्रद्धा का केंद्र बनी। महंत राघवदास के निर्देशन में निकली यात्रा में कलाकारों व भक्तों के नृत्य ने भी समां बांध दिया। महंत राघवदास ने बताया कि रात सात बजे यात्रा के वापस आने के बाद भगवान जगन्नाथ को स्नान कराकर, श्रृंगार व पूजन कर भव्य झांकी भी सजाई गई। रामजन्मभूमि से ही सटे राम कचहरी मंदिर से भी महंत शशिकांत दास के संयोजन में  भगवान जगन्नाथ को दिव्य रथ पर सवार कर रथयात्रा निकाली गई। बड़ास्थान दशरथ महल से शाम पांच बजे महंत बिंदुगाद्याचार्य स्वामी देवेंद्रप्रसादाचार्य की अध्यक्षता में भव्य रथयात्रा निकाली गई।

देर शाम तक हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम
रामनगरी के कई मठ-मंदिरों से रथयात्रा निकली। रथयात्रा हनुमानगढ़ी, रानीबाजार, तपस्वी छावनी, रामघाट, हनुमान गुफा होते हुए सरयू तट पहुंची, जहां मां सरयू का पूजन-अर्चन करने के बाद देर शाम मंदिरों में वापस लौट आई। इसके बाद मंदिरों में देर रात तक भगवान के पूजन-अर्चन, दर्शन व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का सिलसिला जारी रहा।

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