बरेली: ऐ गरीब जनता... तेरी किसी को क्या परवाह, सेतु निगम ने अचानक बंद कर दिया जिला अस्पताल का मुख्य रास्ता

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Published By Om Parkash chaubey
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मुसीबत में पड़े मरीज, कुछ इधर-उधर भटके, कुछ जोखिम उठाकर पहुंचे जिला अस्पताल, कुतुबखाना पुल के निर्माण के साथ शुरू हुईं मुश्किलें अब चरम पर

बरेली, अमृत विचार : कुतुबखाना फ्लाईओवर का निर्माण होने तक जिला अस्पताल आना है तो सोच-समझकर आएं। हो सकता है कि आप किसी मामूली बीमारी का इलाज कराने आ रहे हों लेकिन किसी बड़े हादसे का शिकार हो जाएं। मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं। शनिवार को बगैर किसी सूचना के मुख्य रास्ता अचानक बंद कर दिए जाने के बाद खतरा भी बढ़ गया।

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जिला अस्पताल तक पहुंचने के लिए लोगों को दिक्कतें तो झेलनी ही पड़ीं, भारी जोखिम भी उठाना पड़ा। कुतुबखाना पुल का निर्माण शुरू होने के साथ जिला अस्पताल आने वाले मरीजों की शुरू हुई दिक्कतें अब चरम पर पहुंच गई हैं। ओपीडी में आने वाले सामान्य मरीज तो आने-जाने भर की मुश्किल झेल रहे हैं लेकिन गंभीर हालत में आने वाले मरीजों के लिए जिंदगी और मौत के सवाल खड़े होने लगे हैं।

सबसे ज्यादा चिंताजनक यह है कि सिस्टम चलाने वाले लोग इसकी कोई परवाह भी नहीं कर रहे हैं। मरीजों के संकट की कोई चिंता किए बगैर पुल का निर्माण करा रहे सेतु निगम ने शनिवार को अचानक जिला अस्पताल का मुख्य रास्ता बंद कर दिया। इसके बाद दूर-दूर से आए मरीज इधर-उधर भटकते रहे।

कुछ मरीज आसपास के दुकानदारों से पूछताछ कर दूसरे रास्तों से जिला अस्पताल पहुंचे तो कुछ ने अस्पताल का लोहे का नुकीला गेट फांदने का जोखिम उठाया। शनिवार होने के कारण ओपीडी आधे ही दिन की थी, इस कारण मरीजों की संख्या सामान्य दिनों के मुकाबले कम थी, लेकिन फिर भी सैकड़ों मरीजों को भारी परेशानी झेलनी पड़ी। तमाम मरीज ओपीडी में ही नहीं पहुंच पाए और निराश होकर लौट गए।

बारिश में बढ़ी मुसीबत, कपड़े हुए, खराब, कीचड़ में फिसलकर गिरे: पुल के निर्माण की वजह से अस्पताल के रास्ते पर पहले से मिट्टी फैली हुई थी जो बारिश शुरू होने के बाद कीचड़ और फिसलन में तब्दील हो गई है। कहीं-कहीं तो दलदल जैसी स्थिति है। शनिवार को इस रास्ते से गुजरने वाले आम लोगों के साथ मरीजों के भी कहीं कपड़े खराब हुए तो कहीं वे फिसलकर गिरे।

हाल ही में जो रास्ता अस्पताल आने वाले मरीजों के लिए खोला गया है, बारिश के बाद उस पर भीषण कीचड़ फैला हुआ है। शनिवार को दोपहिया वाहनों से इधर से गुजरे कई लोग फिसलकर गिरे और चोटिल हो गए।

मरीजों को लेकर वापस लौट गईं कई एंबुलेंस, रोज 50 से 60 मरीजों को लेकर पहुंचती हैं एंबुलेंस शनिवार को पहुंचे सिर्फ 30 : जिला अस्पताल का जिला पंचायत की तरफ वाला गेट बंद होने के कारण पैदल आए मरीज तो दूसरे रास्ते से अंदर पहुंच गए लेकिन जो मरीज किसी वाहन से अस्पताल आए थे, उन्हें जिला पंचायत रोड से इंद्रा मार्केट और कोतवाली होते हुए जिला अस्पताल आना पड़ा।

सबसे ज्यादा परेशानी उन मरीजों को हुई जिन्हें एंबुलेंस लेकर आई थीं। मरीजों के लिए जो रास्ता बनाया गया है, वह बहुत संकरा है। आमने-सामने एंबुलेंस आने की स्थिति में रास्ता ब्लॉक होने की स्थिति पैदा हो रही थी। इसका नतीजा यह हुआ कि आम दिनों में 108 और 102 एंबुलेंस से आकर भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या 50 से 60 तक रहती है लेकिन शनिवार को सिर्फ 30 मरीज ही भर्ती हुए।

अनुमान लगाया गया कि कई एंबुलेंस मरीज को लेकर लौट गईं। अचानक गेट बंद किए जाने के कारण इसकी जानकारी एंबुलेंस स्टाफ को भी नहीं थी लिहाजा उनका रिस्पांस टाइम भी प्रभावित हुआ।

तीन बेड अस्पताल है विकल्प मगर कोई चिंता करने वाला ही नहीं: कुतुबखाना पुल का निर्माण शुरू होने के बाद जिला अस्पताल आने वाले मरीजों की परेशानियों का दौर शुरू हुआ तो तत्कालीन कमिश्नर संयुक्ता समद्दार ने जिला अस्पताल के ज्यादातर विभागों को तीन सौ बेड अस्पताल में शिफ्ट करने का आदेश दिया था।

इसके बाद तीन सौ बेड अस्पताल में ओपीडी तो शुरू हो गई लेकिन फिजिशियन के अलावा ज्यादातर महत्वपूर्ण विभाग जिला अस्पताल में ही उपलब्ध हैं। तीन सौ बेड अस्पताल में अगर ओपीडी के सभी विभागों के साथ आईपीडी भी शुरू कर दी जाए तो मरीजों को काफी सहूलियत मिल सकती है लेकिन इस पर कोई ध्यान देने को ही तैयार नहीं है।

गेट अचानक बंद कर दिया गया, इसकी जानकारी सेतु निगम की ओर से नहीं दी गई। शनिवार को 12 बजे तक ही ओपीडी थी जिसकी वजह से मरीजों की संख्या कम रही वर्ना काफी दिक्कत हो सकती थी। इस संबंध में उच्चाधिकारियों से विचार-विमर्श किया जाएगा। - डॉ. अलका शर्मा, एडीएसआईसी जिला अस्पताल

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