लखनऊ : एसजीपीजीआई की दवाएं बेअसर, इसलिये डॉक्टर लिख रहे हैं हमारी दवा, निजी कंपनी के एजेंट का दावा
लखनऊ, अमृत विचार। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) का एक ऑडियो रविवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें एक मरीज के तीमारदार से एक डॉक्टर बाहर से इंजेक्शन व अन्य उपकरण लाने का दबाव बनाता है। इस वायरल ऑडियों में यह भी सुना जा सकता है कि किस तरह निजी दवा कंपनी का एजेंट एसजीपीजीआई में अपनी दवा की सप्लाई का गुणगान करता है। निजी दवा कंपनी का एजेंट तो यहां तक कहता है कि एसजीपीजीआई के अंदर मिलने वाली कुछ दवा गुणवत्ताविहीन है। एसजीपीजीआई में मिलने वाले कुछ दवा मरीजों को फायदा नहीं करती हैं। इसलिए बाहर से डॉक्टर उनकी कंपनी की दवा मंगाते हैं।
इस वायरल ऑडियो में मरीज की परिजन जब निजी दवा कंपनी के एजेंट से दवा की कीमत कम करने की गुजारिश करती है। उसके बाद निजी दवा कंपनी का एजेंट पूरे मामले का खुलासा करता हुआ सुनाई पड़ता है। वायरल ऑडियो के कुछ अंश इस तरह है। पहले डॉक्टर और मरीज के तीमारदार के बीच हुई बातचीत का अंश।
मरीज की परिजन... डॉक्टर साहब हम इधर ही हैं वह शाम तक दवा लेकर आयेगा
डॉक्टर... अच्छा, तुम्हारे नंबर पर अभी एक फोन आयेगा। यहीं का एक लड़का है जो सारी चीजें उपलब्ध करा देता है।
मरीज की परिजन... डॉक्टर साहब सामान तो मिला नहीं वह पूछ कर चले गये... जिनका आप ने नंबर दिये थे।
डॉक्टर... तुमने उससे कहा कि कहीं और से पता कर बताओगी... मरीज की परिजन... नहीं डॉक्टर साहब हमने ऐसा नहीं कहा...
डॉक्टर... सुनो मेरी बात, शनिवार का दिन है और एक घंटे का खेल है...फिर वहां से वह उठ जायेगा... फिर पड़ा रहेगा मरीज... मै लड़के को खुद बोल देता हूं... वह जल्दी ले आयेगा।
मरीज की परिजन और निजी दवा कंपनी के एजेंट से हुई बातचीत के अंश
मरीज की परिजन... भईया आप के मेडिकल स्टोर का नाम क्या है।
निजी दवा कंपनी का एजेंट... मैंम हम लोगों का मेडिकल स्टोर नहीं है, हम लोग डारेक्ट सप्लाई देते हैं।
मरीज की परिजन... भईया हमें... दो इंजेक्शन चाहिए थे।
निजी दवा कंपनी का एजेंट... आपने जहां से इंजेक्शन लिया था वहां पर कितने का पड़ रहा था 1250 का एक... हम एक हजार से कम में दे देंगे।
मरीज की परिजन... भईया यदि आप नहीं कम कर सकते हैं, तो कंपनी के किसी बड़े अधिकारी से बात करा दीजिए।
निजी दवा कंपनी का एजेंट... मैम हमी कंपनी के बड़े अधिकारी हैं।
मरीज की परिजन... भईया हमें कम से कम दस इंजेक्शन और अन्य सामान भी लेना है।
निजी दवा कंपनी का एजेंट... मैडम यदि आप दस इंजेक्शन खरीदती हैं, तो करीब 12500 रूपये का पड़ेगा, जबकि हमारे पास दस हजार में ही पड़ जायेगा, तभी आपकों ढाई हजार का फायदा होगा। हमारे पास और भी कंपनियां है,लेकिन उसका इंजेक्शन नहीं फायदा करेगा। जिस तहर से अभी अस्पताल के अंदर से लिया गया इंजेक्शन फायदा नहीं कर रहा है। ठीक उसी तरह से अन्य कंपनियों का इंजेक्शन फायदा नहीं करेगा।
मरीज की परिजन... डॉक्टर बता रहे हैं अंदर का इंजेक्शन मरीज पर असर नहीं कर रहा है,वह इंजेक्शन नुकसान पहुंचा रहा है। अंदर तो इंजेक्शन 240 रूपये में ही मिल जाता है। निजी दवा कंपनी का एजेंट... पीजीआई में जो दवा चल रही है कोलीमोनॉल और जाइलोमोनॉल वह नहीं फायदा करेगी। क्योंकि वह दवा सस्ती है। हमारी कंपनी की दवा महंगी होने की वजह से पीजीआई प्रशासन ने लेने से मना कर दिया था, उस समय पीजीआई के अधिकारियों को लगा था कि एक हजार वाली दवा 500 रूपये में ले आयेंगे, तो फायदा करेगी, लेकिन वह अब मरीजों को फायदा नहीं कर रही है। अब हमारे पास पीजीआई से फोन आ रहा है।
मरीज की परिजन... यदि दवा बच गई तो किसे वापस करेंगे।
निजी दवा कंपनी का एजेंट... दवा हमसे लेंगी तो हमी को वापस करेंगी मैडम।
मरीज की परिजन... आप गायब हो गये तो,निजी दवा कंपनी का एजेंट...अरे मैडम 50 लाख का काम है हमारा हम आपके दस हजार के लिए थोड़े गायब हो गये हैं। नाराज होकर सीधी बात सुनिये जब डॉक्टरवा नंबर हमारा दे रहा है तो दवा हमही वापस करेंगे।
मरीज की परिजन... मैडम डॉक्टर को तो हमने एक हजार तीस रूपये में बताया था, आपको तो एक हजार में दे रहे हैं। हमारी कंपनी की दवा सिर्फ रेट की वजह से बाहर हुई थी, पीजीआई ने नहीं ली थी, लेकिन आज पीजीआई वाले बाहर से मंगा रहे हैं।
यह पूरा मामला एसजीपीजीआई के युरोलॉजी विभाग का बताया जा रहा है। जहां पर रेजीडेंट डॉक्टर की ओर से मरीज के परिजन पर बाहर से दवा व अन्य सामान लाने के लिए दबाव बनाया गया है।
एसपीजीआई में दवा एजेंटो व डॉक्टर के बीच गठजोड़ को उजागर करने के लिए यह ऑडियो काफी है। वहीं जब निजी दवा कंपनी के एजेंट की तरफ से पीजीआई प्रशासन पर लगाये गये आरोप और डॉक्टर द्वारा बाहर से दवा लाने का मरीज पर दबाव बनाने के मामले में एसजीपीजीआई के सीएमएस डॉ. संजय धिराज ने साफ तौर पर कहा है कि इस तरह के आरोप गलत है, साथ ही यह भी कहा है कि यह मामला कब का है यह भी जानकारी में नहीं है। जानकारी की जा रही है, इसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
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