Kanpur: शासन में दबा दी गई फर्जी शस्त्र लाइसेंस की एसआईटी जांच रिपोर्ट, SIT ने अगस्त 2022 को भेज दी थी रिपोर्ट

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर में शासन में दबा दी गई फर्जी शस्त्र लाइसेंस की एसआईटी जांच रिपोर्ट।

कानपुर में शासन में फर्जी शस्त्र लाइसेंस की एसआईटी जांच रिपोर्ट दबा दी गई। एसआईटी ने अगस्त 2022 को शासन को रिपोर्ट भेज दी थी।

कानपुर, [कुशाग्र पांडेय]। शहर में एसआईटी जांच के नाम पर हजारों शस्त्र लाइसेंस लटके है। विरासतन लाइलेंस के लिए भी आवेदक असलहा विभाग से लेकर अधिकारियों की चौखट के चक्कर लगा रहे है, लेकिन उनके लाइसेंस नहीं बन पा रहे है। उनको यह कहकर टहला दिया जाता है कि अभी एसआईटी जांच चल रही है।

आपको जानकार हैरानी होगी कि एसआईटी बीते साल ही अपनी जांच पूरी कर रिपोर्ट शासन को भेज चुकी है। अब शासन में रिपोर्ट को दबा दिया गया है। सवाल है कि अगर एसआईटी ने जांच रिपोर्ट शासन को भेजी है तो आरोपियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई या फिर एसआईटी ने सबको क्लीन चिट दे दी है। यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है। 

क्या है फर्जी शस्त्र लाइसेंस स्कैंप 

शहर में शस्त्र लाइसेंस के फर्जीवाड़े का खुलासा अगस्त 2019 को हुआ था। कलेक्ट्रेट में 91 फर्जी लाइसेंस पकड़े गए थे। जिसमें 73 को फर्जी लाइसेंस की बुकलेट भी जारी कर दी गई थी। बुकलेट में स्कैन कर जिलाधिकारी के हस्ताक्षर बनाए गए थे। शेष बुकलेट जारी होने के समय यह फर्जीवाड़ा पकड़ लिया गया था। इन बुकलेट पर स्कैन कर जिलाधिकारी के हस्ताक्षर बनवाए गए और फिर सिटी मजिस्ट्रेट से बुकलेट को जारी करा लिया गया। ये फर्जी लाइसेंस जुलाई 2018 से 30 जुलाई 2019 तक बनवाए गए थे। इसके बाद इन लाइसेंस को रद्द किया गया था। इसमें असलहा बाबू, दो वकील और तीन कारीगर गिरफ्तार हुए थे। जांच में 15 आरोपियो के नाम सामने आए थे। जांच बढ़ने के साथ फर्जीवाड़े के सबूत सामने आ गए थे। तत्कालीन जिलाधिकारी विजय विश्वास पंत ने खुद प्रेस कांफ्रेंस कर फर्जीवाड़े का खुलासा किया था। 

जांच बढ़ी तो 171 फाइलें गायब कर दी गई

फर्जी शस्त्र लाइसेंस की जांच शुरु हुई तो कलेक्ट्रेट में हड़कंप मच गया। कर्मचारी से लेकर आला अधिकारी जांच में घेरे में थे। जांच आगे बढ़ी तो असलहा लाइसेंस की फाइल गायब कर दी गई। इसका खुलासा बिकरू कांड के बाद दुर्दांत विकास दुबे के शस्त्र लाइसेंस की जांच से हुआ। जब विकास दुबे के शस्त्र लाइसेंस की फाइल मंगवाई गई तो पता चला कि विकास दुबे, एक पूर्व मंत्री समेत 171 शस्त्र धारकों के लाइसेंस की फाइल गायब थी। 

दिसंबर 2021 में शुरु हुई थी एसआईटी जांच 

शस्त्र लाइसेंस के फर्जीवाड़े और फाइलें गायब करने की जांच दिसंबर 2021 एसआईटी को सौंपी गई थी। एसआईटी जांच का प्रभारी एसपी देवरंजन को बनाया गया था। उन्होंने 41 हजार लाइसेंस की जांच की थी।इसके लिए 4 मजिस्ट्रेट और 10 कंप्यूटर ऑपरेटर लगाए गए थे। एसपी देवरंजन ने अगस्त 2022 में जांच पूरी कर शासन को रिपोर्ट भेज दी है। 

क्यों शासन में एक साल से दबी है जांच रिपोर्ट 

फर्जी शस्त्र लाइसेंस प्रकरण में कर्मचारी से लेकर आला अधिकारी शक के घेरे में है। इसे इन अधिकारियों का रसूख कहें या फिर अन्य कोई कारण कि एक साल एसआईटी रिपोर्ट शासन में दबी है, जबकि खुद मुख्यमंत्री ने इस प्रकरण के खुलासे के लिए एसआईटी गठित करने का आदेश दिया था।

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