हल्द्वानी: 10 करोड़ के अस्पताल में जुगाड़ के डॉक्टर, फर्नीचर भी जुगाड़ का
तीन साल से शासन में धूल फांक रही चिकित्सकों के पद सृजन की फाइल
लक्ष्मण मेहरा, हल्द्वानी, अमृत विचार। दस करोड़ रुपये की लागत से बना कुमाऊं का पहला 50 बेड का आयुर्वेदिक अस्पताल अस्तित्व में तो आ गया है, लेकिन चल जुगाड़ की गाड़ी से रहा है। यहां मरीज को बड़ी संख्या में आ रहे हैं, लेकिन उन्हें देखने के लिए स्थायी डॉक्टर नहीं है। जुगाड़ के डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं और बुरे हाल यह है कि अस्पताल का फर्नीचर भी जुगाड़ से लाया गया है।
आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से इलाज कराने वाले लोगों की सुविधा के लिए सरकार ने कुमाऊं के प्रवेश द्वार हल्द्वानी में 28 अगस्त 2016 को 50 बेड के आयुर्वेदिक अस्पताल की नींव रखी थी। कभी शासन से बजट न मिलने तो कभी निर्माण एजेंसी की लापरवाही के कारण अस्पताल का निर्माण समय पर पूरा नहीं हो पाया। आखिर में फरवरी 2022 में अस्पताल का निर्माण पूरा हुआ, जिसे सितंबर में आयुष विभाग को हस्तांतरित कर दिया गया। तब से लेकर आज तक अस्पताल में चिकित्सकों के पद सृजन नहीं हो पाए। जबकि जिला और निदेशालय स्तर से शासन को चिकित्सकों के पद सृजन के लिए कई बार पत्र लिखा जा चुका है।
बजट मंजूर, फर्नीचर का पता नहीं
आयुर्वेदिक अस्पताल में चिकित्सकों और रोगियों के बैठने की व्यवस्था उपकार पर निर्भर है। कई कोशिशों के बाद फर्नीचर के लिए बजट मंजूर हुआ। जिसके बाद जैम को ऑर्डर दिया गया, लेकिन हालात ये है कि अभी तक अस्पताल में फर्नीचर नहीं पहुंच पाया है। आसपास के आयुर्वेदिक केद्रों से कुर्सी व मेज मांगकर काम चल रहा है।
केंद्रीय मंत्री के आदेशों का नहीं हुआ असर
केंद्रीय रक्षा व पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट ने नवंबर 2022 में आयुर्वेदिक अस्पताल का निरीक्षण किया था। उस दौरान उन्होंने सीधे तौर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को मामले की जानकारी दी। साथ ही आयुष सचिव डॉ. पंकज पांडेय व वित्त सचिव को दूरभाष पर शीघ्र पद सृजित करने के निर्देश दिये, लेकिन केंद्रीय मंत्री के आदेशों का शासन के अधिकारियों पर कोई असर नहीं हुआ।
पीपीपी मोड में देने की फिर उठी सुगबुगाहट
50 बेड के आयुर्वेदिक अस्पताल को शुरू करने में सरकारी तंत्र फेल हो गया है। ऐसे में इसे पीपीपी मोड में देने की तैयारी चल रही है। सूत्रों की मानें तो बाहर से आई टीम दो बार अस्पताल का निरीक्षण कर चुकी है। इससे अस्पताल के निजी हाथों में जाने की सुगबुगाहट तेज हो गई है। चर्चा है कि जल्द ही अस्पताल का लोकार्पण भी हो सकता है। हालांकि विभागीय अधिकारियों ने इसकी पुष्टि नहीं की है।
चिकित्सकों के पद सृजन की फाइल शासन को भेजी गई है। जिस पर कार्रवाई चल रही है। जल्द ही पद सृजित होने की संभावना है।
- डॉ. (प्रो.) अरुण कुमार त्रिपाठी, निदेशक आयुर्वेद एवं यूनानी सेवाएं उत्तराखंड
