लखनऊ : कल्याण सिंह कैंसर संस्थान के डॉक्टरों ने किया प्रदर्शन, जानें वजह
लखनऊ, अमृत विचार। राजधानी स्थित कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड हॉस्पिटल के डॉक्टरों को सातवां वेतन नसीब नहीं हुआ है। सातवें वेतन का लाभ न मिल पाने के चलते मंगलवार को डॉक्टरों के सब्र का बांध टूट गया। आक्रोशित डॉक्टरों ने काला फीता बांधकर कैंसर संस्थान स्थित कल्याण सिंह की प्रतिमा के समीप प्रदर्शन किया। नाराज डॉक्टर मांगे न पूरी होने पर इस्तीफा देने जैसा कदम भी उठा सकते हैं। आक्रोशित डॉक्टरों से निदेशक प्रो.आरके.धीमन ने बात की और मांगों को जल्द से जल्द पूरा कराने को कहा है।
दरअसल, कल्याण सिंह सुपर स्पेशलिटी कैंसर इंस्टीट्यूट के डॉक्टरों को अभी तक छठे वेतन आयोग की सिफारिशों का ही लाभ मिल रहा है। कल्याण सिंह सुपर स्पेशलिटी कैंसर इंस्टीट्यूट की स्थापना वर्ष 2016 में हुई थी। संस्थान में फैकल्टी को वर्ष 2017 में नियुक्त किया गया था तथा उनके वेतनमान और भत्ते एसजीपीजीआईएमएस फैकल्टी के बराबर थे। (छठा वेतन आयोग) छह साल बीत चुके हैं, लेकिन अभी भी फैकल्टी को एसजीपीजीआईएमएस के बराबर सातवां वेतन आयोग के अनुसार वेतनमान और भत्ते नहीं मिल रहे हैं। इससे पहले इसी तरह की समस्या डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान, लखनऊ में हुई थी और इसे सरकार ने ठीक करके स्वीकार कर लिया था, लेकिन केएसएसएससीआई मेंगवर्निंग बॉडी द्वारा सातवें वेतन और भत्ते की मंजूरी के बावजूद भी डॉक्टरों को लाभ नहीं मिल रहा है।
इसके विरोध में मंगलवार को केएसएसएससीआई के 30 फैकल्टी और 100 सीनियर और जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर कल्याण सिंह की प्रतिमा के सामने एकत्र होकर प्रदर्शन किया है और पीजीआई के सामान वेतन भत्ते देने की मांग की।
बता दें कि पिछले तीन वर्षों में 19 फैक्लटी ने कैंसर संस्थान से इस्तीफा दे दिया है और एम्स, एसजीपीजीआईएमएस, आरएमएलआईएमएस, केजीएमयू एवं अन्य संस्थानों में ज्वाइन कर चुके हैं। जहां 7वां वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ मिल रहा है। वहीं कल्याण सिंह कैंसर संस्थान के डॉक्टरों के वेतन ढांचे और भत्तों को कम करके, कैंसर देखभाल की गुणवत्ता को ख़राब किया जा रहा है। आक्रोशित डॉक्टरों का तो यहां तक कहना है कि भविष्य में कई और सुपर स्पेशलिटी डॉक्टर इस्तीफा दे सकते हैं। जिससे मरीजों को निजी देखभाल केंद्रों में जाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा और कैंसर के इलाज के लिए ऊंची कीमत चुकानी पड़ेगी। विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे के बावजूद, जिसमें 24 मॉड्यूलर ओटी और अत्याधुनिक विकिरण मशीनें शामिल हैं, संस्थान की संभावित वृद्धि को नजरअंदाज किया जा रहा है।
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