प्रयागराज : पश्चिमी संस्कृति व मीडिया के प्रभाव में अपना जीवन बर्बाद कर रही युवा पीढ़ी

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Published By Pradumn Upadhyay
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अमृत विचार, प्रयागराज । पश्चिमी संस्कृति के अंधे अनुकरण के कारण मुक्त संबंधों का लालच और वास्तविक साथी की खोज में युवा अपना जीवन बर्बाद कर रहे हैं। भारतीय समाज के सामने यह असमंजस की स्थिति है कि उसे छोटे बच्चों को पश्चिमी मानदंडों को अपनाने की अनुमति दी जाए या उन्हें भारतीय संस्कृति की सीमा के भीतर मजबूती से जकड़ कर रखा जाए।

आजकल की पीढ़ी को ऐसी स्थिति से निकलने का कोई रास्ता नहीं मिलता है, जिसके कारण वे ऐसे रिश्ते में फंस जाते हैं, जिससे उनका पूरा जीवन तहस-नहस हो जाता है। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति सिद्धार्थ की एकलपीठ ने झांसी निवासी जय गोविंद उर्फ रामजी यादव की याचिका पर सुनवाई के दौरान दी।

गौरतलब है कि मौजूदा मामले में याची और शिकायतकर्ता की बेटी के बीच प्रेम संबंध था। एक दिन याची और सह अभियुक्तों ने लड़की के घर जाकर उसके माता-पिता को धमकी दी, जिससे शिकायतकर्ता के पति यानी लड़की के पिता की हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई।

इसके बाद 8 मई 2022 को याची और अन्य सह अभियुक्तों ने लड़की का अपहरण कर चार दिनों तक उसके साथ दुष्कर्म किया, जिसके कारण वह अवसादग्रस्त हो गई। अभियुक्तों ने एक बार फिर 9 जून 2022 को उसका अपहरण कर दुष्कर्म किया और उसका वीडियो भी बनाया, जिसकी जानकारी उसने खुद अपनी बहन को दी। इसके बाद पीड़िता की मृत्यु हो गई।

कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तथा मामले से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण फैसलों पर विचार करते हुए कहा कि यह मामला अदालत में आने वाले कई मामलों में से एक है। जहां देश के युवा पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण करते हुए विपरीत लिंग के साथ मुक्त संबंधों के लालच में अपना जीवन बर्बाद कर देते हैं और उन्हें अंत तक कोई वास्तविक साथी नहीं मिल पाता है। वर्तमान मामले में पीड़िता कई लड़कों के साथ प्रेम संबंध में थी। बाद में अपने परिवार के विरोध तथा लड़कों के साथ असंगति के कारण उसने हताशा में आत्महत्या कर ली।

इससे सिद्ध होता है कि देश की युवा पीढ़ी सोशल मीडिया तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रभाव में आकर अपने जीवन में सही निर्णय नहीं ले पा रही है और अपने जीवनसाथी की तलाश में वह प्रायः गलत व्यक्तियों की संगत में पड़ जाती है। अंत में मामले की अनिश्चिता, पुलिस द्वारा एकतरफा जांच, याची को त्वरित सुनवाई का मौलिक अधिकार होने तथा भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के जनादेश के तहत याची को जमानत पर रिहा कर दिया गया।

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