मुरादाबाद : आतंकी अहमद रजा के गांव में खामोशी, अपरिचित को संदेह की नजर से देख रहे सभी
आतंक आरोपी के गांव मिलक गुलड़िया में ही नहीं, आसपास के गांवों में लोगों ने सिले होठ
आतंकी अहमद रजा गिरफ्तार, भारत में
निर्मल पांडेय, अमृत विचार। हिजबुल मुजाहिद्दीन के हैंडलर अहमद रजा की गिरफ्तारी के बाद से उसके गांव में सन्नाटा है। अमृत विचार की टीम शुक्रवार दोपहर आतंकी अहमद रजा के गांव मिलक गुलड़िया के रास्ते में थी। सीकरपुर पांडे गांव में सड़क किनारे दुकान के पास तीन-चार बुजुर्ग बैठे मिले। रास्ता पूछने और अहमद रजा का जिक्र किया तो जुम्मा व सफात बोले, पूरे क्षेत्र की बदनामी हो रही है। उन लोगों को अंदाजा नहीं था, उनके पड़ोसी गांव का ही युवक इतना बड़ा कुछ कर रहा है।
खैर, हम आगे बढ़े। कुछ दूरी पर सड़क के बाएं से दूसरा डामर वाला मार्ग मिलक गुलड़िया की ओर जाता है। इसी मोड़ पर चाय-पकौड़ी की दुकान है, जहां अकील से मुलाकात हुई। जिक्र करने पर अकील बोले, बड़ी हैरत वाली बात है कि अहमद रजा आतंकवादियों के संपर्क में रहा। एटीएस की गिरफ्तारी के बाद अब वह भी अहमद रजा के बारे में संदेह करने लगे हैं। अकील बोले, केवल मिलक गुलड़िया गांव ही नहीं आसपास के तमाम गांवों में अहमद रजा की ही चर्चा हो रही है। कहा हमने अहमद रजा को कभी नहीं देखा लेकिन, अब उसके कारनामें जरूर सुन रहे हैं।
अपराह्न तीन बजे टीम अहमद रजा के गांव पहुंच गई। गांव के प्रारंभ में ही सड़क पर कुछ बच्चे मिले, इनसे अहमद रजा का नाम लेते ही वह खिसकने लगे। एक व्यक्ति ने कहा, भइया यहां कोई कुछ बोलेगा नहीं, अहमद का पिता दबंग है वह मूंढापांडे थाने का हिस्ट्रीशीटर भी है। कुछ बताकर झगड़ा मोल कौन लेगा? इस व्यक्ति ने अहमद रजा का गांव में घर कहां पर है, ये भी नहीं बताया। सामने खड़ंजा किनारे अपने घरों के बाहर कुछ महिलाएं खड़ी थीं, इन सभी की नजर हमारी ओर ही थी। आपस में काना-फूसी कर हमें अपरिचित बताकर वह घर में घुस गईं और दरवाजा बंद कर लिया।
खड़ंजा पर तीन-चार युवक छाया में बैठे थे। इन्होंने अहमद से अपने को अपरिचित बता दिया। एक ने अकेले में पूछने पर सवाल कर कहा, आप कौन हैं? कहां से आए हैं? दूसरे गांव में इतना बड़ा कांड हो गया, जिसके बारे में बताकर कोई क्यों पचड़े में फंसे। इसलिए आपको देखकर लोग मुंह फेर रहे हैं। घर के दरवाजे बंद कर ले रहे हैं। यहां से हम आगे बढ़े तो दूसरी गली में भी हमें अपरिचित मानकर महिलाएं संदेह की दृष्टि से घूर रही थीं। वह किसी भी सवाल का उत्तर देने को तैयार नहीं थीं। अहमद रजा के घर का पता बताने तक मुंह चुरा रही थीं। एक ने प्राथमिक विद्यालय की ओर इशारा किया तो हम वहां पहुंचे। यहीं स्कूल के पड़ोस में अहमद रजा का घर मिला। घर में घुसने से हम थोड़ा झिझके लेकिन, अहमद की मां हमें देखकर गेट पर आईं और अंदर बुला लिया।
बचपन से ही मनबढ़ था अहमद
मुरादाबाद। घर में मां गड्डो, चाची अमीर जहां, दो बहनें सलमा व उजमा मिलीं। इन लोगों ने खुलकर बातचीत की। मां गड्डो ने बताया, बेटा अहमद रजा जब छोटा था तब से ही वह घर पर कम रहता था। करीब 10 साल पहले से वह घर से दूर रह रहा था। उसकी गतिविधियों के लेकर उसके पिता फिरासत नाराज रहे थे। वर्ष 2019 में बरेली में अपनी पसंद की महिला आसमा उर्फ खतीजा से निकाह कर लिया था। उस महिला के पहले से दो बच्चे थे। ये आसमा मध्य प्रदेश के रतलाम की निवासी है।
निकाह होने की जानकारी घर वालों को बाद में लगी। फिर यह भी पता चला कि पहले पति से बहू आसमा के दो बच्चे भी हैं, जिन्हें छोड़कर आसमा ने अहमद रजा से निकाह कर लिया। यह सब मालूम हुआ तो अहमद के पिता फिरासत हुसैन काफी नाराज हुए। तीनों बहनें भी नाराज हुईं। गड्डों ने यह भी बताया, आसमा उर्फ खतीजा का चाल-चलन ठीक नहीं था, पति-पत्नी दोनों में झगड़ा होता था। ऐसे में फिरासत हुसैन ने बेटे अहमद रजा व बहू खतीजा दोनों को चल-अचल संपत्ति व परिवार से बेदखल कर दिया था। ये बेदखली उसने अखबार में भी छपाकर सार्वजनिक की थी। आतंक के आरोपी अहमद रजा की मां ने बताया कि बेदखली के बाद से तीन साल से उनका बेटा रजा और उसकी पत्नी घर से दूर चले गए थे। ये लोग कहां थे, यह भी घर वालों को नहीं पता है।
25 साल प्रधान रहे अहमद रजा के बाबा लियाकत
मुरादाबाद। अहमद रजा के घर परिवार वालों से बातचीत के दौरान खपरैल की मिलक गांव के बुजुर्ग भूरा आ गए। पूछने पर बताया कि फिरासत के पिता लियाकत उनके मामा थे। लियाकत मिलक गुड़लिया गांव के 25 साल प्रधान रहे। भूरा ने कहा, लियाकत का पूरे क्षेत्र में बड़ा नाम था। इनके चार बेटे थे। इनमें तीन जीवित हैं। भूरा ने कहा, उन्हें अहमद रजा के बारे में पता चला तो बड़ा दुख हुआ कि क्या लियाकत का पोता देश विरोधी गतिविधि में शामिल हो गया।
सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई हिरासत की कार्रवाई
मुरादाबाद। मां गड्डो, चाची अमीर जहां व बहन सलमा इन तीनों ने बताया, अहमद रजा अभी पांच-छह दिन पहले घर आया था। एक अगस्त के दिन दोपहर को वह करनपुर पायजामा सिलाने गया था, जहां से उसे एटीएस ने उठाया। उसी दिन शाम चार बजे के दौरान ये अधिकारी घर में भी आ घुसे थे। एक-एक कमरे को छान मारा, जो दस्तावेज मिला उठा ले गए। परिवार के फोन भी ले गए। सलमा ने कहा, उसके निकाह के दस्तावेज और बच्चों के जन्म वाले कागज भी एटीएस वाले ले गए। बुजुर्ग गड्डो ने बताया, करनपुर में अहमद रजा को हिरासत में लेने की कार्रवाई वहीं लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद है। उसने कहा, अहमद रजा किस तरह के आतंकी कार्य से जुड़ा है, इस बारे में उन लोगों को कोई जानकारी नहीं है। एक सवाल पर गड्डो ने हैरत जताकर कहा, जब अहमद रजा कक्षा-10 फेल है तो वह किसे शिक्षा दे रहा होगा...। उसकी पत्नी आसमा कहां है? इस बारे में भी गड्डो ने अनभिज्ञता जताई। कहा, उन्हें आसमा उर्फ खतीजा के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
लखनऊ से बैरंग लौटे पिता-बहन
मुरादाबाद। अहमद रजा की बहन उजमा ने बताया कि गुरुवार को लखनऊ से फोन आया था तो पापा (फिरासत) और बहन नगमा व प्रधान गए थे लेकिन, वहां उन लोगों को अहमद रजा से मिलने नहीं दिया। वह लौट आए हैं।
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