ISRO ने ‘उपग्रह बस प्रौद्योगिकी’ निजी कंपनी को हस्तांतरित की, अंतरिक्ष में निजी उद्योग की हिस्सेदारी को मिलेगा बढ़ावा
बेंगलुरु। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शनिवार को कहा कि उसने आईएमएस-1 ‘उपग्रह बस प्रौद्योगिकी’ को अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांरित कर दी है, ताकि देश के अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी उद्योग की हिस्सेदारी को और बढ़ावा दिया जा सके।
अंतरिक्ष एजेंसी की वेबसाइट के मुताबिक, इसरो की वाणिज्यिक इकाई न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) ने दो अगस्त को अपने मुख्यालय में समझौते पर हस्ताक्षर के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी की।
एनएसआईएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डी. राधाकृष्णन ने प्रौद्योगिकी हस्तांतरण दस्तावेज आधिकारिक रूप से एडीटीएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक कर्नल (अवकाश प्राप्त) एच.एस. शकंर को सौंपा। वेबसाइट के मुताबिक, एडीटीएल उन दो निजी कंपनियों में शामिल हैं, जिनकी पहचान एनएसआईएल में प्रकाशित ‘इंट्रेस्ट एक्स्प्लोरेटरी नोट’ (आईईएन) के जरिये इस प्रौद्योगिकी को सौंपने के लिए की गई।

इसरो के यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (यूआरएससी) द्वारा विकसित ‘उपग्रह बस’ एक बहुआयामी और कुशल छोटा सैटेलाइट मंच है जिसे अंतरिक्ष तक कम लागत में पहुंच की सुविधा के लिए डिज़ाइन किया गया है।
उपग्रह बस विभिन्न पेलोड के लिए एक समर्पित वाहन के रूप में कार्य करता है, जो उपग्रह प्रक्षेपण के लिए त्वरित समय सुनिश्चित करते हुए पृथ्वी मानचित्रण, महासागर और वायुमंडलीय अध्ययन, माइक्रोवेव रिमोट सेंसिंग और अंतरिक्ष विज्ञान मिशनों को सक्षम बनाता है। लगभग 100 किलोग्राम वजनी आईएमएस-1 बस में 30 किलोग्राम पेलोड होता है।
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