दूसरी शादी करने पर सेवा से बर्खास्तगी की सजा अन्यायपूर्ण : हाईकोर्ट  

Amrit Vichar Network
Published By Jagat Mishra
On

प्रयागराज, अमृत विचार। करते हुए कहा कि सजा अन्यायपूर्ण है, क्योंकि कथित दूसरी शादी को सिद्ध करने के लिए पर्याप्त प्रमाण प्राप्त नहीं हुए हैं। उक्त आदेश न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र ने प्रभात भटनागर की याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। 

कोर्ट ने आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने के एक महीने के भीतर याची को सेवा में बहाल करने का निर्देश दिया है, साथ ही याची को बर्खास्तगी की तारीख से उसकी बहाली तक सभी वित्तीय और अन्य परिणामी सेवा लाभ प्रदान करने का भी निर्देश दिया है। याची 8 अप्रैल 1999 से जिला विकास अधिकारी, बरेली के कार्यालय में प्रशिक्षु के रूप में कार्यरत है। पहली शादी के होते हुए दूसरी शादी करने के कारण याची पर कदाचार का आरोप लगाया गया। हालांकि उसने दूसरी शादी से इनकार किया। याची का दावा है कि उसे सेवा से बर्खास्त करने से पहले कोई उचित जांच नहीं की गई। 

अंत में कोर्ट ने यूपी सरकारी सेवक आचरण नियमावली के नियम 29 का हवाला देते हुए कहा कि उक्त नियमावली के तहत इस प्रकार के कदाचार के लिए केवल 3 साल के लिए वेतन वृद्धि रोकने जैसा मामूली दंड दिये जाने का प्रावधान है, लेकिन सेवा से बर्खास्त करना किसी भी दशा में न्यायपूर्ण नहीं है।

ये भी पढ़ें -गोंडा : लाखों की नकदी व जेवर हड़पने के आरोपी दो सर्राफ गिरफ्तार

संबंधित समाचार

टॉप न्यूज

लखनऊ, कन्नौज, इटावा और वाराणसी में मिलिट्री स्कूल खोले जाने चाहिए : अखिलेश यादव
वाराणसी रेंज में पहली बार शुरू हुई व्हाट्सएप ‘बॉट’ सेवा, अब गुमनाम तरीके से दें अपराध की खबर
प्राप्त की गई डिग्री केवल शैक्षणिक उपलब्धि नहीं, बल्कि समाज के प्रति नैतिक दायित्व का प्रतीक है : केजीएमयू के 21वां दीक्षांत समारोह में बोलीं आनन्दी बेन पटेल
लखनऊ विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक उपलब्धि: तंजानिया के शोधार्थी को भारत-तंजानिया माध्यमिक शिक्षा पर रिसर्च के लिए मिली पहली अंतरराष्ट्रीय PhD
Bhatkhande Sanskriti Vishwavidyalaya: संजू का तबला, हरिहरन की गायकी और शोवना नारायण का कथक रहा आकर्षण