आतंकी मंसूबे

आतंकी मंसूबे

कश्मीर के अनंतनाग में आतंकवादियों से मुठभेड़ में सेना के दो अधिकारियों और एक पुलिसकर्मी के शहीद होने की घटना से एक बार फिर साफ हुआ है कि पाकिस्तान अपनी हिंसक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। हालांकि यह आश्वस्त करने वाली खबर है कि हमारे जवानों ने आतंकियों को भी ढेर कर दिया, लेकिन इससे वह शोक कम नहीं हो जाता है जो आए दिन आतंकियों के हाथों मारे जाते सैन्य जवानों की शहादत से देश में फैल जाता है। 

कोई ऐसा तरीका खोजने का समय आ गया है जिससे आतंकी हमलों पर लगाम लगाई जा सके,क्योंकि यह तय है कि अपनी आवाम का ध्यान भटकाने के लिए पाकिस्तान आगे भी कश्मीर हमारा है का खोखला राग गाता रहेगा, वहीं आतंकियों से घुसपैठ कराने का सिलसिला भी थमने देने वाला नहीं। कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद तेजी से जो बदलाव हो रहे हैं वह पाकिस्तान को रास नहीं आ रहे हैं। उसे लगने लगा है कि कश्मीर के मुद्दे पर भारत के हाथों उसकी करारी हार हुई है। 

उसकी यह भी समझ में आ गया है कि जिसे गुलाम कश्मीर कहा जाता है, उसे भी बचाए रखना उस पर भारी पड़ेगा। वह पीओके बचा पाएगा, इसके प्रति खुद मुतमईन नहीं है। इसी खिसिआहट में वह बार-बार आतंकियों की घुसपैठ कराने की कोशिश करता है। 

यह अलग बात है कि भारतीय जवानों पर हमला करने के बाद भी कोई बड़ा खौफनाक कारनामा अंजाम देने में सफल नहीं हो पा रहा है। यही असफलता उसे कुछ बड़ा करने को उकसाती है और शायद वह कुछ बड़ा कर भी चुका होता, लेकिन भारत सरकार की कश्मीर के प्रति नई रक्षा नीति ने उसकी दाल नहीं गलने दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी। 

भारत सरकार बदले में क्या करेगी यह अभी से बताना मुश्किल है फिर भी यह कहा जा सकता है कि बात तभी बनेगी जब पाकिस्तान से हो रहे आतंक के प्रवाह को थामने के कोई ठोस उपाय किए जाएं। उपाय यह समझकर लागू करने होंगे कि पाकिस्तान बातों या चेतावनियों से सुधरने वाला नहीं है।

कुल मिलाकर यह कहना गलत नहीं होगा कि जब तक पाकिस्तान को सबक नहीं सिखाया जाएगा, तब तक भारत के ऊपर आतंकी हमलों का खतरा मड़राता रहेगा। इसलिए इस दिशा में सरकार को शीघ्र ही कदम उठाने होंगे और जल्दी उठाने होंगे। देर होने पर भारत को और भी जन हानि या सैन्य हानि उठानी पड़ सकती है। 

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