मुरादाबाद : नई जेल के निर्माण में पीडब्ल्यूडी की लापरवाही बनी रोड़ा, आपत्ति के डेढ़ साल बाद भी नहीं बना संशोधित एस्टीमेट

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Published By Bhawna
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हाई सिक्योरिटी बैरक वाली बनेगी दो मंजिला जेल , नई जेल परिसर में होंगी सुविधाएं

जिला कारागार का मुख्य द्वार। 

निर्मल पांडेय, अमृत विचार। हाई सिक्योरिटी बैरक वाली जेल बनाने की कवायद करीब 15 साल से चल रही है। जेल निर्माण के लिए मूंढापांडे क्षेत्र में एयरपोर्ट के पास 96 एकड़ जमीन अधिग्रहीत की जा चुकी है। जमीन की वर्ष 2015-16 रजिस्ट्री भी हो चुकी है। नई जेल निर्माण प्रारंभ में अभी एस्टीमेट तैयार करने में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी निर्माण खंड-भवन) की लापरवाही का ही गतिरोध फंसा है। हैरत इस की बात है कि पीडब्ल्यूडी ने अभी तक शासन को संशोधित एस्टीमेट ही नहीं भेजा है। एस्टीमेट स्वीकृत हो तो बजट मिले। वैसे पूर्व में भेजे गए एस्टीमेट को शासन ने डेढ़ साल पहले आपत्ति लगाकर लौटाया था। 

संशोधित एस्टीमेट शासन तक पहुंचे, इसके लिए वरिष्ठ जेल अधीक्षक पीडब्ल्यूडी अधिशासी अभियंता को कई पत्र भी लिख चुके हैं। इनमें अभी तक अभियंता की तरफ से एक भी पत्र का उत्तर वरिष्ठ जेल अधीक्षक को नहीं भेजा गया। अब वरिष्ठ जेल अधीक्षक पवन प्रताप सिंह ने जिला जज अजय कुमार द्वितीय व डीएम मानवेंद्र सिंह को इस बारे में बताया तो पीडब्ल्यूडी अभियंता की नींद टूटी है। दो दिन पहले ही जिला जज ने अधिशासी अभियंता चंद्रशेखर सिंह से कड़ी नाराजगी जाहिर की थी।

बुधवार दोपहर सहायक अभियंता आसिफ हुसैन वरिष्ठ जेल अधीक्षक के चैंबर में पहुंचे थे। आसिफ ने बताया, नई जेल बनाने में 400.58 करोड़ रुपये खर्च होने का प्रस्ताव बन रहा है। अब से एक महीने के अंतराल में एस्टीमेट तैयार कराकर शासन में भेज देंगे। फिर निर्माण कार्य शुरू होने में न्यूनतम तीन महीने लग जाएंगे। संशोधित एस्टीमेट बनाने में डेढ़ साल का समय बीत गया, क्यों? इसके जवाब में उन्होंने बताया कि तमाम प्रक्रिया होती है। मौका देखा जाता है, मानचित्र बनता है। एस्टीमेंट कंसलटेंट तैयार करते हैं। सहायक अभियंता ने बताया कि सब कुछ समय रहते पूरा होता गया तो भी नई जेल का निर्माण पूरा होने में करीब तीन साल का समय लगेगा। अधिशासी अभियंता पीडब्ल्यूडी (निर्माण खंड) चंद्रशेखर सिंह ने तो यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि वह कुछ भी बताने को अधिकृत नहीं हैं।

135 साल पुरानी है जेल
मुरादाबाद जेल 135 साल पुरानी है। इसका निर्माण 1888 में हुआ था। उस दौर में ये जेल 5.51 एकड़ में बनी थी। इसमें 25 बैरक हैं। जेल की क्षमता केवल 517 बंदियों की थी, फिर इसे बढ़ाकर 717 किया गया था। वर्तमान में इस जेल में 3500 से अधिक बंदी निरुद्ध हैं।

ये भी जानें
नई जेल की जल निकासी चयनित जमीन के पास तालाब में रहेगी। जेल के ड्रेनेज सिस्टम को डिजाइन किया जा चुका है। जेल को ऊंचाई पर बनाने के लिए मिट्टी पटान किया जाएगा। इसके लिए ठेकेदार से कांट्रेक्ट भी हो गया है।

नई जेल परिसर में होंगी सुविधाएं
स्कूल, खेल मैदान, कांफ्रेंसिंग हाल, अधिकारी-कर्मचारियों के आवास भी बनेंगे। कंप्यूटर केंद्र व अन्य कार्यों के लिए हाईप्रोफाइल सेंटर बनेंगे। बाल कारागार भी बनेगा। महिला बंदियों और उनके बच्चों के लिए विशेष बैरक होगी।  

पुरानी जेल की 23 बैरक में 3500 से अधिक बंदी हैं। दिक्कते हैं, इसीलिए अमरोहा व संभल के बंदियों को क्रमश: बिजनौर व रामपुर में शिफ्ट कर रहे हैं। नई जेल बनाने में जो बाधाएं हैं, उसे हमने उच्चाधिकारियों को बताया है, कार्रवाई हो रही है। पीडब्ल्यूडी अभियंता को पत्र लिखे हैं।- पवन प्रताप सिंह, वरिष्ठ जेल अधीक्षक

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