पीलीभीत : बाघिन के आगे सिस्टम फेल..ग्रामीण गुस्साए बोले- ट्रेंड कर्मी लाओ..जानिए मामला
पीलीभीत/माधोटांडा, अमृत विचार। बांसखेड़ा गांव के समीप बाग में डेरा जमाए बैठी बाघिन को ट्रैंक्यूलाइज करने का ऑपरेशन तीसरे दिन भी फेल रहा। पहले दिन इसकी जिम्मेदारी टाइगर रिजर्व की टीम को दी गई थी। अब मंगलवार को समाजिक वानिकी की टीम भी रेसक्यू करने में असफल हुई। दो डॉट चलाने के बाद भी बाघिन बेहोश नहीं हो सकी।
पूरे दिन हंगामे के बीच रेस्क्यू चलता रहा और शाम होते ही बाघिन के न पकड़े जाने की वजह से ग्रामीणों में रोष दिखा। अंधेरा होने के बाद मौके से जब टीम वापस आने लगी तो ग्रामीणों ने टीम को रोक लिया। मांग की गई कि बाघिन को ले जाने के बाद ही टीम को गांव से बाहर जाने दिया जाएगा। जिस वजह से वन कर्मियों की धड़कनें बढ़ी रही।
बता दें कि कलीनगर तहसील क्षेत्र के गांव बांसखेड़ा में 28 सितंबर से बाघिन एक आम के बाग में डेरा जमाए बैठी है। जिसको लेकर ग्रामीणों में दहशत है। बाघिन को ट्रैंक्यूलाइज करने के लिए रविवार को टाइगर रिजर्व के नेतृत्व में रेसक्यू ऑपरेशन चलाया गया था, लेकिन डॉट लगने के बाद भी बाघिन बेहोश नहीं हो सकी। दोबारा सोमवार को टीम सिर्फ निगरानी तक ही समिति रही। मंगलवार को रेसक्यू करने की बात कहकर टाल दिया।
मंगलवार को ग्रामीणों के हंगामा करने के बाद करीब डेढ़ बजे रेसक्यू ऑपरेशन चालू हो सका। बाघिन की लोकेशन ट्रेसिंग शुरु की गई। इस बार टाइगर रिजर्व की जगह सामजिक वानिकी की टीम को बाघिन रेसक्यू करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। डीएफओ संजीव कुमार, एसडीओ अंजनी कुमार, ओमप्रकाश और रेंजर पीयूष मोहन श्रीवास्तव टीम के साथ मौके पर पहुंचे। हालांकि ट्रैंक्यूलाइज करने के लिए डॉ. दक्ष गंगवार को बुलाया गया।
अफसरों की अगुवाई में लोकेशन मिलने के बाद 4:57 बजे पहली डॉट बाघिन पर चलाई गई। जो सटीक नहीं बैठी। जिसके बाद दूसरी डॉट 5:25 बजे पर चलाई गई जो बाघिन की पीठ के निचले हिस्से में जाकर लगी। बाघिन लड़खड़ती हुई गड्ढे में बैठ गई। लेकिन वह पूरी तरह से बेहोश नहीं हुई। इसके बाद टीम बाघिन के बेहोश होने का इंतजार करती रही। करीब 40 मिनट के बाद टीम अंदर गई तो बाघिन आधी बेहोशी की हालत में अपना स्थान बदलती रही। वन विभाग की टीम डर के चलते बाघिन पर खाबड़ नहीं डाल सकी। एक घंटे के बाद पूरी तरह से होश में आ गई।
जिसके बाद वन विभाग की टीम को दबे पावं बाग से बाहर आना पड़ा। पूरे दिन वन विभाग का हाईटेक ड्रामा देखने के बाद भी बाघिन के न पकड़े जाने पर ग्रामीणों में उबाल आ गया और हंगामा करना शुरु कर दिया। ग्रामीणों का आरोप है कि अगर सुबह से ही रेसक्यू चालू कर दिया जाता तो शायदा बाघिन को पकड़ जा सकता था।
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