Kanpur: खूब घूमने-फिरने वाले युवाओं के मुंह से आ रहा खून, मुरारी लाल चेस्ट हॉस्पिटल में आ रहे रोज आठ से 10 केस
कानपुर में युवाओं के मुंह से खूने आने के केस मुरारी लाल चेस्ट हॉस्पिटल में आ रहे रोज आठ से 10 आ रहे है।
कानपुर में युवाओं के मुंह से खूने आने के केस मुरारी लाल चेस्ट हॉस्पिटल में आ रहे रोज आठ से 10 आ रहे है। जांच में फेफड़े में कोई समस्या नहीं मिल रही।
कानपुर, [शशांक शेखर भारद्वाज]। अत्याधिक घूमने फिरने और दोपहिया वाहनों पर फर्राटा भरने वाले युवा व किशोर गले के भयंकर संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं। उनमें गला चोक होने, सूजन, खाना निगलने में कठिनाई, बार बार खांसी आने जैसी परेशानी है। कुछ के खांसते खांसते बलगम से खून आ जा रहा है।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से संबद्ध मुरारी लाल चेस्ट हॉस्पिटल की ओपीडी में रोजाना आठ से 10 केस आ रहे हैं। सबसे खास बात उनकी एक्स-रे, सीटी स्कैन और एमआरआई की जांच में फेफड़ा पूरी तरह सुरक्षित मिल रहा है। चिकित्सक इसको धूल व गर्द के कण के साथ वायरस या बैक्टीरिया का हमला मान रहे हैं। इसमें अपर एयरवे रेसिस्टेंस सिंड्रोम की तरह लक्ष्ण मिल रहे हैं।
सितंबर और अब अक्टूबर की शुरुआत में मौसम में उतार चढ़ाव जारी है। कभी तेज गर्मी व उमस है, तो अचानक बारिश के बाद तापमान कम हो जा रहा है। ठंडी और नमीयुक्त हवा चल रही है। इस सर्द और गर्म के बीच लोग आइसक्रीम खा रहे हैं और कोल्ड ड्रिंक पी रहे हैं। अचानक एसी से बाहर निकल रहे हैं। दोपहिया या चार पहिया वाहनों से घूमना फिरना हो रहा है।
सबसे ज्यादा युवा व किशोर दोपहिया वाहनों का उपयोग कर रहे हैं। इधर बदले हुए वातावरण में वायरस और बैक्टीरिया भी सक्रिय हैं, जबकि हवा में अति सूक्ष्म कण पीएम 2.5, पीएम 10 और कई तरह की हानिकारक गैसों का स्तर बढ़ रहा है। युवाओं की बार बार की आवाजाही से वे वायरस या फिर बैक्टीरिया के हमले के साथ प्रदूषित कणों की चपेट में आ रहे हैं।
खांसी से हो रही शुरुआत
मुरारी लाल चेस्ट हॉस्पिटल के वरिष्ठ फेफड़ा रोग विशेषज्ञ प्रो. अवधेश कुमार के मुताबिक युवाओं और किशोरों में सबसे पहले खांसी की समस्या मिल रही है। इसे ठीक होने में सात से 10 दिन का समय लग रहा है। कुछ में गला चोक होने, सूजन, कुछ भी निगलने में कठिनाई हो रही है। उनकी एक्स-रे, सीटी स्कैन और एमआरआई की रिपोर्ट बिल्कुल सही आ रही है।
उनकी केस स्टडी की गई है, जिसमें चौंकाने वाले तथ्य आए हैं। करीब 96 फीसद से अधिक रोगी दोपहिया वाहन चलाने वाले या फिर पीछे बैठने वाले मिले हैं। उनको एंटी वायरल के साथ एंटी बैक्टीरियल दवाएं दी जा रही हैं। अपर एयरवे रेसिस्टेंस सिंड्रोम अधिकतर अधिक उम्र वाले लोगों में होती है। इसमें मरीज को सोते समय सांस सही तरीके से नहीं आती है। वह अचानक से हड़बड़ा कर उठ जाता है। नींद अचानक से टूट जाती है।
समस्या पर किया जाएगा शोध
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला ने बताया कि अभी समस्या की सटीक पुष्टि नहीं हुई है। इस पर कई विभागों के विशेषज्ञ मिलकर शोध करेंगे। चेस्ट विभाग, मेडिसिन, पैथोलॉजी के विशेषज्ञों की जल्द ही बैठक बुलाई जाएगी। मुरारी लाल चेस्ट हॉस्पिटल के डॉक्टर डेटा तैयार कर रहे हैं।
