निठारी कांडा : हाईकोर्ट ने दोनों आरोपियों को किया बरी, सुरेंद्र कोली और मोनिंदर पंढेर को नहीं होगी फांसी
लखनऊ, अमृत विचार। नोएडा के बहुचर्चित निठारी कांड के गुनहगार सुरेंद्र कोली और मोनिंदर पंढेर को फांसी की सजा से बरी कर दिया गया है। अब इन दोनों आरोपियों को फांसी नहीं होगी। करीब 18 साल पहले पूरी दुनिया को दहला देने वाले निठारी कांड के गुनहगारों को आज बड़ी राहत मिली है। सुरेंद्र कोली को करीब 12 मामलों में फांसी की सजा सुनाई गई थी।
नोएडा के चर्चित निठारी कांड के आरोपी और कोठी D 5 के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। बताया जा रहा है कि हाईकोर्ट ने फांसी की सजा को रद्द किया , सुरेंद्र कोली, मोनिंदर पंढेर पर फैसला आज आया है, चश्मदीद न मिलने पर फांसी पर रोक लगी है। इससे पहले गाजियाबाद कोर्ट ने दोनो आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी। जिसके बाद दोनों आरोपियों ने फांसी की सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी। हाईकोर्ट ने आरोपियों की अपील को मंजूर कर लिया था। आज इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है। जिसके बाद बरी हुये है निठारी कांड के दोनों आरोपी।
निठारी कांड में सीबीआई ने करीब 16 मामले दर्ज किए गए थे। जिसमें सुरेंद्र कोली को 12 मामलों में फांसी की सजा मिली थी। वहीं आरोपी मोनिदर सिंह पंढेर के खिलाफ 6 केस दर्ज थे। इन्हीं में से 3 मामलों में दोनों आरोपितयों को फांसी की सजा सुनाई गई थी।
दरअसल 2005 से 2006 में नोएडा में हुए निठारी कांड में सीबीआई ने सुरेंद्र कोली को हत्या, अपहरण, बलात्कार जैसे मामलों में सबूत मिटाने का आरोपी बनाया था। वहीं मोनिदर सिंह पंढेर को मानव तस्करी के केस में आरोपी बनाया गया था। सीबीआई अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। जिसके बाद दोनों आरोपियों ने अपनी फांसी की सजा को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। आरोपियों की तरफ से कोर्ट में कहा गया था कि इन घटनाओं का कोई चश्मदीद मौजूद नहीं है। ऐसे में सिर्फ वैज्ञानिक और परिस्थितियों के हिसाब से बने सबूतों के आधार पर ये सजा दी गई है। जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र और जस्टिस एस एच ए रिजवी की बेंच ने दोनों आरोपियों को फांसी दोषमुक्त कर दिया।
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