बरेली: सत्यापन के फेर में लटके आशियाने, लाभार्थी काट रहे डूडा दफ्तर के चक्कर
प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी का हाल, पांच हजार से अधिक लाभार्थियों का सत्यापन अधूरा
बरेली, अमृत विचार। अधिकारियों की सुस्ती के कारण प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी का लाभ लाभार्थियों को समय से नहीं मिल पा रहा है। सैकड़ों लाभार्थियों का सत्यापन न होने के कारण किस्त उनके खातों में नहीं पहुंच पा रही है। जिसके चलते तीन महीने में आवास पूरा होने का सपना साल भर में भी पूरा नहीं हो पा रहा है। कई लाभार्थी नींव तक तो कोई बाउंड्री और छत तक का निर्माण कराकर अगली किस्त के इंतजार में जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं।
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डूडा के आकड़ों के मुताबिक जिले के 20 नगर निकायों में 26835 आवास स्वीकृत हैं। जिसमें 21458 पूरे हो चुके हैं जबकि 5377 लाभार्थी किस्त के लिए भटक रहे हैं। कई लाभार्थियों का बरसों से नाम ऑनलाइन दिख रहा है। वह तहसील और डूडा कार्यालय में पहुंच रहे हैं।
इन सभी लाभार्थियों को कार्यालय के कर्मियों की ओर से यही बताया जा रहा है कि आवास के सत्यापन के बाद किस्त भेजी जाएगी, लेकिन सत्यापन करने वाले अधिकारी-कर्मचारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। सुभाष नगर वार्ड निवासी सुनैना ने बताया कि सात बार से अधिक डूडा कार्यालय आ चुकी हूं। हर बार सत्यापन न होने का हवाला देकर लौटा दिया जाता है।
पीएम आवास योजना एक नजर में-
-26835 आवास स्वीकृत हैं जिले में।
- 26466 को मिली है पहली किस्त।
- 25170 को मिली है दूसरी किस्त।
18438 को मिली है तीसरी किस्त।
बोले लाभार्थी
वर्ष 2018 में मेरी पत्नी भगवती के नाम से प्रधानमंत्री आवास की स्वीकृति मिल गई। 10 से अधिक बार चक्कर लगाने पर 50,000 रुपये दूसरे के खाते में भेज दिया गया। इसकी जानकारी डूडा कार्यालय से दी गई। पहली किस्त के लिए पत्नी कार्यालय का चक्कर लगाती रहीं लेकिन भुगतान नहीं हो पाया और उसकी पांच दिसंबर 2022 को मौत हो गई। इसके बाद से वह चक्कर लगा रहे हैं---पप्पू।
बरसात के समय टूटी झोपड़ी से पानी गिरता रहता है। आवास के लिए तहसील और डूडा कार्यालय का चक्कर बीते पांच साल से लगा रही हूं---मीना, गिहार बस्ती।
दो साल पहले से प्रधानमंत्री आवास में नाम ऑनलाइन दिखा रहा है। तभी से दस्तावेज लेकर घूम रहा हूं। आधार कार्ड पर एक कर्मी की ओर से लिख दिया गया है कि तहसील का सत्यापन होना है नई सूची में नाम है। इसके बाद भी सत्यापन नहीं हो रहा है। इसके लिए पांच बार से अधिक डूडा कार्यालय का चक्कर लगा चुका हूं--विजय राम, फतेहगंज पूर्वी।
तीन साल पहले ही प्रधानमंत्री आवास के लिए ऑनलाइन पंजीकरण कराया था। झोपड़ी का घर भी टूट चुका है। डूडा कार्यालय जब आते हैं तो कर्मी कहते हैं कि सत्यापन करने के लिए कोई जाएगा। अभी तक घर पर कोई नहीं आया है---रामचन्द्र सुभाष नगर।
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