एक ही विग्रह में विराजमान हैं मां दुर्गा के नौ रूप, नवरात्र में दर्शन-पूजन करने से मिलता है मनवांछित फल

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Published By Sachin Sharma
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वाराणसी। सात वार नौ त्योहार वाली काशी के त्योहार व पर्व मनाने का अंदाज भी सबसे अलग है। काशी को धर्म की नगरी कहा जाता है। मान्यता है कि ये शहर भगवान शिव के त्रिशूल पर बसा हुआ है। फिर जहां शिव होंगे, वहां देवी गौरी भी होंगी।  शिव की नगरी काशी के कण-कण में शिव के साथ शक्ति भी विराजती हैं। शारदीय नवरात्र में आदिशक्ति के नौ स्वरूपों के दर्शन कर भक्त माता से सुख, समृद्धि और भक्ति का आशीष मांगते हैं।

नवमी तक मां दुर्गा के नौ स्वरूप अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं और मंदिर क्षेत्र में सुबह से देर रात तक दर्शन पूजन की कतार लगती है। धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में देवी के कई सिद्ध मंदिर हैं। इस नगरी में एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां मां दुर्गा नौ रूपों में विराजमान हैं। चैत्र नवरात्र में जहां नौ गौरी की पूजा का विधान है वहीं शारदीय नवरात्र में नौ दुर्गा पूजी जाती हैं। जिस दिन जिस देवी के दर्शन का महात्म होता है लोग उनके दर्शन पूजन करने जाते हैं परंतु भदायिनी क्षेत्र में स्थित इस एक मंदिर में स्थापित नवदुर्गा के स्वरूप का दर्शन हो जाता है।

श्रद्धालु नौ दिन माता के इस मंदिर में आकर दर्शन कर लें तो उन्हें नवदुर्गा का आशीर्वाद मिलता है। 500 सैकड़ों साल पुराने इस मंदिर की कई मान्यताएं हैं। पहली मान्यता है कि यहां मां की प्रतिमा स्थापित नहीं है, बल्कि वह स्वयं विराजित हैं। यहां दर्शन करने आए श्रद्धालुओं का कहना है कि जो भी इस दरबार में आकर श्रद्धापूर्वक दीप जाता व मां को चुनरी चढ़ाता है मां उसे शुभाशीष देती हैं। इस प्राचीन नवदुर्गा मंदिर में माता सभी की मनोकामनाएं पूरी करती हैं।

किशन दुबे महाराज ने बताया कि असि भदैनी क्षेत्र में यह स्वयं विराजित मंदिर है जहां पर मां स्वयं प्रकट हुई है यह मंदिर लगभग 500 साल पुराना है इस मंदिर की मान्यता है कि नवरात्र में किसी भी दिन आकर मां के दर्शन करने से मां के नौ स्वरूप का दर्शन प्राप्त होता है तथा सभी मनवांछित फल प्राप्त होता है। नवरात्र में यहां पर दर्शन पूजन करने वालों का भीड़ लगा रहता है।

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