प्रयागराज: हाईकोर्ट ने झूठा हलफनामा दाखिल करने पर प्रेमी युगल पर लगाया जुर्माना

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Published By Sachin Sharma
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प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खुद को अनपढ़ और बालिग बताकर याचिका दाखिल करने वाले प्रेमी जोड़े की याचिका खारिज करते हुए पांच हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति शिव शंकर प्रसाद की खंडपीठ ने पीड़िता के प्रेमी के खिलाफ दर्ज अपहरण की प्राथमिकी को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई करते हुए दिया।

दरअसल पीड़िता ने अपने हलफनामे में कोर्ट को बताया कि उसने कभी स्कूल में दाखिला लेकर पढ़ाई नहीं की है, इसलिए उसके पास उम्र संबंधी कोई दस्तावेज नहीं हैं। अतः उसकी उम्र की जांच के लिए सीएमओ से मेडिकल जांच कराई जानी चाहिए। वाराणसी के फूलपुर थाना क्षेत्र में घर से गायब होने पर पीड़िता के पिता ने उसके प्रेमी के खिलाफ अपहरण की प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

प्रेमी युगल ने खुद को बालिग बताते हुए संयुक्त रूप से याचिका दाखिल कर प्राथमिकी रद्द करने की मांग की थी। कोर्ट के आदेश पर आयु निर्धारण के लिए पीड़िता की मेडिकल जांच की रिपोर्ट सीएमओ वाराणसी से सीलबंद लिफाफे में तलब की गई। इसी बीच पीड़िता के पिता की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता ने जवाबी हलफनामे के साथ पीड़िता के प्राइमरी स्कूल के शैक्षिक प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर दिए।

प्रेमी जोड़े की ओर से झूठा हलफनामा दाखिल करने से खफा कोर्ट ने बाल न्याय अधिनियम की धारा 94 का हवाला देते हुए पीड़िता की आयु निर्धारण की सीएमओ द्वारा प्रेषित सीलबंद रिपोर्ट को खोलने से इन्कार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि उपरोक्त धारा के अंतर्गत आयु निर्धारण के लिए सबसे पहले शैक्षिक प्रमाण पत्रों को वरीयता दी जाएगी। पिता द्वारा प्रस्तुत प्रमाण पत्र से स्पष्ट है कि पीड़िता नाबालिग है। कोर्ट ने प्रेमी जोड़े की ओर से झूठे हलफनामे पर दाखिल याचिका खारिज करते हुए जुर्माना भी लगाया है।

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