लखनऊ के 7 वर्षीय विवान कैनवास पर चित्र उकेर कर धरोहर संरक्षण का दे रहे संदेश, पेंटिंग ऐसी की देखते ही रह जाएं!

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Published By Sachin Sharma
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वीरेंद्र पाण्डेय, लखनऊ, अमृत विचार। गंगा जमुनी तहजीब की धरा पर इन दिनों एक सात साल का बच्चा विवान अलग- अलग प्रांतों की संस्कृत का चित्र कैनवास पर उकेर कर धरोहर संरक्षण का संदेश दे रहा है। खास बात यह है कि लोग अपनी परम्पराओं को जाने और उससे जुड़े इसके लिए विवान ने एक प्रदर्शनी लगाने पर भी विचार किया है। परिवार और गुरु के सहयोग से इसी महीने में विवान इस प्रदर्शनी को लगायेंगे। जहां पर भारतीय परम्पराओं और पौणरिक कथाओं की एक झलक देखने को मिल सकती है।

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दरअसल, विवान कपूर को विभिन्न तरह के चित्र बनाने का बड़ा शौक है। वह महज तीन साल की उम्र से ही पेंसिल और पेपर की मदद से रंग बिरंगे चित्र बनाने लगे थे। जब इस बात की जानकारी उनकी मां प्रताक्षी कपूर को हुई तो उन्होंने भी अपने बेटे के इस प्रतिभा को निखारने का फैसला किया। जिसमें उनकी मदद आर्टिस्ट पंकज गुप्ता ने की। पंकज गुप्ता भी एक बड़े चित्रकार हैं और छोटी से बड़ी उम्र के लोगों को चित्रकारी सिखाने का काम करते हैं।

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चित्र के जरिए पौराणिक कथाओं को भी दर्शाने में है माहिर

विवान की उम्र भले ही कम हो, लेकिन अपनी प्रतिभा के जरिये वह युवाओं को बड़ा संदेश भी दे रहे हैं। अपनी चित्रकारी से विभिन्न प्रदेशों की प्रथाओं को कैनवास पर उकेर कर जानकारियों को वह अन्य लोगों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। जिससे लोग अपनी परम्पराओं से जुड़े रहे और अपनी धरोहर को सहेज सकें।

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विवान की एक खास पेंटिंग है जिसका नाम वर्ली पेंटिंग है। इस पेंटिंग के जरिये मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आदिवासी क्षेत्र के लोगों की दिनचर्या को विवान ने दर्शाने की कोशिश की है। इस विधा की पेंटिंग में सिर्फ आकृति होती है, नैन नक्श नहीं होते हैं। इसके अलावा विवान फिंगर पेंटिंग, डूडल आर्ट और अब्सट्रैक्ट पेंटिंग बनाने में माहिर हैं। उनकी एक खास पेंटिंग मधुबनी है। जो मिथिला और बिहार में मांगलिक अवसर पर बनाई जाने चित्रकारी है।

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विवान की मां प्रताक्षी कपूर बताती है कि जिस उम्र में बच्चे मोबाइल पर गेम खेलते हैं, उस उम्र में विवान मोबाइल पर भी चित्रकारी करता था। आज के समय में रंग बिरंगे पेसिंल और पेपर से ही उसकी गहरी दोस्ती है, वह जब भी अपने दैनिक कार्य और स्कूल से फ्री होता है तो सिर्फ चित्र बनाता हुआ दिखाई पड़ता है। प्रताक्षी की माने तो विवान की प्रतिभा को निखारने में पंकज गुप्ता का विशेष योगदान रहा है। 

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प्रताक्षी कपूर

 

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आर्टिस्ट पंकज गुप्ता बताते हैं कि हर बच्चे में कुछ न कुछ प्रतिभा जरूर होती है,बस उसे पहचानने की जरूरत है। विवान में चित्रकारी को लेकर अलग तरह का लगावा है। शायद यही वजह है कि इतनी कम उम्र में भी वह ऐसी-ऐसी तस्वीरें बनाता है जो न सिर्फ आंखों को सुकून पहुंचाने वाली होती है, बल्कि हमारी धरोहरों को सहेजने का भी संदेश देती हैं।

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