बरेली : SHG की महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भर...मिट्टी के दीयों से बढ़ी आमदनी, बर्तनों के भी ऑर्डर

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Published By Vishal Singh
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स्वयं सहायता समूह की महिलाएं सालों से बना रहीं मिट्टी के बर्तन

बरेली, अमृत विचार। दीपावली का त्योहार आने ही वाला है, जिसको लेकर तैयारियां जोरशोर से चल रही हैं। कुम्हारी कला से जुड़े लोगों के लिए यह त्योहार बेहद खास है, क्योंकि अन्य लोगों की तरह उनमें भी इसको लेकर हर्ष-उल्लास है। साथ ही उन्हें इस पर्व पर मिट्टी से दीया, दीवट और कुल्हैया जैसी तमाम वस्तुएं बेचकर आमदनी कमाने का मौका भी है। 

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आपको बता दें कि सरकार की तरफ से चलाए जा रहे अभियान लोकल फॉर वोकल के तहत स्थानीय और देसी वस्तुएं के इस्तेमाल पर खासा जोर है। जिससे जुड़े लोगों का पुस्तैनी कारोबार फूले-फले और ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल सके। जिसके लिए राष्ट्रीय रोजगार आजीविका मिशन के तहत ग्रामीण महिलाओं को सशक्त और रोजगार दिलाने के लिए महिला स्वयं सहायता समूह (SHG) संचालित कर उन्हें फंड दिया जा रहा है। जिससे जुड़ी महिलाएं तमाम काम शुरू कर अपना रोजगार स्थापित कर रही हैं। 

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इसी कड़ी में बिथरी चैनपुर ब्लॉक क्षेत्र में दिल्ली-लखनऊ हाइवे पर स्थित सैदपुर चुन्नीलाल गांव की महिलाएं लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह का गठन कर मिट्टी कारीगरी का काम कर रही हैं। जिससे वह इन दिनों अच्छी आमदनी कर रही हैं। इस समूह की महिलाएं दो-तीन जगहों पर मिट्टी के दीया, दीवट और कुल्हैया आदि बनाने का काम कर रही हैं। लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष आरती बताती हैं कि सरकार ने उनके समूह को फंड जारी किया था। जिससे उन्होंने तीन साल पहले मिट्टी कारीगरी का काम शुरू किया है। इससे उनके समूह की सदस्यों का पूरे साल रोजगार चलता रहता है। 

आरती के मुताबिक अभी करवा चौथ के त्योहार पर मिट्टी के बने करवा की ऑर्डर पर खूब बिक्री हो रही है। वहीं दीपावली भी आ रही है, जिसके लिए दीया, दीवक, कुल्हैया के पहले से ही ऑर्डर मिल चुके हैं, जिन्हें बनाने का लगातार काम चल रहा है। आरती बताती हैं कि उन्हें जब मिट्टी के काम में दिक्कत होती है, तो घर के पुरुषों से भी मदद ले लेती हैं। 

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वहीं समूह सचिव शीला देवी और कोषाध्यक्ष नंदनी बताती हैं कि उन्हें हाइवे के आस-पास और शहर के बड़े रेस्टोंरेंट और होटलों से कुल्हड़ बनाने का सालों-साल काम मिलता रहता है। जिससे उनके परिवार की आसानी से रोजी चलती रहती है। वहीं इससे होने वाली कमाई से बच्चों की पढ़ाई-लिखाई भी चलती रहती है। लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह की सदस्य विमला देवी बताती हैं कि वह रोजमर्रा का घरेलू काम-काज करने के बाद पूरे दिन मकान की छत पर दीया, कुल्हैया और हटरी बनाती हैं, जिससे वह रोजाना का करीब ढाई सौ रुपये कमा लेती हैं।

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