बस्ती मंडल में चित्रगुप्त के वंशजों ने की कलम दवात की पूजा

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Published By Deepak Mishra
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बस्ती। उत्तर प्रदेश में बस्ती मण्डल के तीन जिलों बस्ती,सिद्वार्थनगर तथा सतंकबीरनगर मे बुधवार को चित्र गुप्त वंशजों ने यम द्वितीया पर अपने अराध्य देव भगवान श्री चित्रगुप्त की पूजा करने के बाद विधि विधान से अपनी कलम, दवात की पूजा करके बड़ों का आर्शीवाद प्राप्त किया है।

चित्रगुप्त वंशज भानपुर रानी गांव निवासी आलोक कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि बस्ती मण्डल के तीनों जिलों बस्ती, सिद्वार्थनगर तथा सतंकबीरनगर जिलों में चित्रगुप्त वंशजो ने छोटी दीपावली की शाम से ही कलम से लिखना बन्द कर दिया था इस बार दो दिन परवा होने पर आज अपने अराध्य देव भगवान चित्रगुप्त की पूजा तथा कलम (लेखनी) दवात की पूजा करने के बाद घर मे बने नये चावल के आंटे की कलम, दवात, फारा, दही बखीर खा कर पानी पीने के बाद ही अपनी कलम से लिखना शुरू कर दिया है।

सामान्य स्थिति में चित्रगुप्त वंशज छोटी दीपावली के बाद से लिखना पढ़ना पूरी तरह से बंद कर देते है जब तक पूजा न हो जाये तब तक लेखनी का कार्य बंद रहता है। इस दिन सभी लोग भगवान चित्रगुप्त की चित्र पर माला अर्पण करते हैं तथा उनकी आरती उतार कर अपनी भूल चूक को लेकर क्षमा मांगते हैं।

यह परम्परा युगों से चली आ रही है जिसका हम लोग विधि विधान से पूजन-पाठन करते है आज के ही दिन भैया दूज का त्यौहार है भैया दूज का त्‍योहार भाई-बहन के अपार प्रेम और समर्पण का प्रतीक है, इस दिन विवाहित महिलाएं अपने भाइयों को घर पर आमंत्रित कर उन्‍हें तिलक लगाकर भोजन कराती हैं।

वहीं, एक ही घर में रहने वाले भाई-बहन इस दिन साथ बैठकर खाना खाते हैं। मान्‍यता है कि भाई दूज के दिन अगर भाई-बहन यमुना किनारे बैठकर साथ में भोजन करें तो यह अत्‍यंत मंगलकारी और कल्‍याणकारी होता है. दीवाली के दो दिन बाद आने वाले इस त्‍योहार को यम द्वितीया भी कहा जाता है। इस दिन मृत्‍यु के देवता यम की पूजा का भी विधान है। इनकी भी पूजा विधि विधान से की जाती है।

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