कन्नौज : ओएचई में खराबी, डेढ़ घंटे बंद रहा कानपुर-फर्रुखाबाद रेलखंड

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Published By Jagat Mishra
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मंधना जंक्शन और फर्रुखाबाद में रोकीं गईं मालगाड़ियां व यात्री ट्रेनें

कन्नौज, अमृत विचार। कानपुर-फर्रुखाबाद रेलखंड पर ओएचई (ओवर हेड इलेक्ट्रिक) में आई तकनीकी खराबी के कारण यात्री ट्रेनें व  मालगाड़ियां प्रभावित रहीं। रेलवे की कार्यदायी संस्था इरकॉन के इंजीनियरों ने ओएचई की मरम्मत की तो करीब डेढ़ घंटे बाद ट्रैक को चालू किया जा सका। रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि इंसुलेटर पर कार्बन आने की वजह से दिक्कत आई थी, जिसे दुरुस्त कर लिया गया है। 

बुधवार को कानपुर-फर्रुखाबाद रेलखंड पर कन्नौज और कन्नौज सिटी रेलवे स्टेशन के बीच में ओएचई में तकनीकी खराबी आई। इससे पहले एक मालगाड़ी कानपुर से मथुरा के लिए गुजरी थी, जिसके लोको पायलट ने ओएचई में खराबी की जानकारी रेलवे के अधिकारियों को दी। इस पर मंडल रेल परिचालन विभाग ने रेलवे की विद्युत तकनीकी टीम को जानकारी दी। 

कार्यदायी संस्था इरकॉन के अधिकारियों ने डेढ़ घंटे का ब्लॉक और रामाश्रम उपकेंद्र से शटडाउन लेकर ओएचई निरीक्षण यान के साथ टीम को मौके पर भेजा। गैस एजेंसी क्रासिंग के पास पॉवर ट्रांसफार्मर के पास कार्बन जमा होने से करंट में दिक्कत आ रही थी। इंजीनियरों ने ओएचई के सभी इंसुलेटरों से कार्बन को साफ किया और परीक्षण के बाद इसे पास कर दिया। इसी प्रकार कन्नौज स्टेशन से लेकर सिटी स्टेशन तक सभी पोल पर ओएचई के इंसुलेटरों की सफाई की गई। इस दौरान मंधना जंक्शन और फर्रुखाबाद में मालगाड़ियों तथा यात्री ट्रेनों को रोक दिया गया। इंजीनियरों ने बताया कि सर्दियों और बरसात के दिनों में इंसुलेटरों पर कार्बन आना स्वाभाविक है, इसके लिए प्रतिमाह ओएचई का मेंटीनेंस किया जाता है। 

दो दिन पहले खड़ी रही थी आनंद बिहार स्पेशल
दो दिन पहले गैस एजेंसी क्रासिंग के पास दिल्ली से कानपुर जा रही आनंद बिहार स्पेशल एक्सप्रेस ट्रेन के पैंटोग्राफ में आई तकनीकी खराबी के कारण करीब डेढ़ घंटा खड़ी रही थी। उस समय भी इरकॉन और रेलवे की पैंटोग्राफ टीम ने मरम्मत के बाद ट्रेन को रवाना किया था। हालांकि उस दिन ओएचई में कोई दिक्कत नहीं थी, केवल ट्रेन के लोकोमोटिव (इंजन) में लगे पैंटोग्राफ में समस्या आई थी, जिसे कुछ देर बाद सही कर लिया गया था। 

क्या होता है ‘ब्लॉक’
रेलवे के यांत्रिक इंजीनियर संतोष तिवारी ने बताया कि जब किसी रूट पर कोई तकनीकी दिक्कत आती है तो उसे दुरुस्त करने के लिए रेलवे परिचालन बोर्ड से ‘ब्लॉक’ लेना पड़ता है, इसकी अवधि एक घंटा या कम अथवा उससे अधिक होती है। दो घंटे की अवधि से अधिक ब्लॉक को ‘मेगा ब्लॉक’ कहा जाता है। इस दौरान उस रूट पर ट्रेनों का आवागमन रोक दिया जाता है। 

करंट को एक फ्लो में रखने के लिए लगाए जाते हैं कैपेसिटर 
ओएचई में 25 हजार वोल्ट का करंट प्रवाहित होता है और करंट को एक फ्लो में रखने के लिए कैपेसिटर लगाए जाते हैं। फिर भी कार्बन आने से करंट का फ्लो कम हो जाता है। उसे मेंटीनेंस के द्वारा सही कर दिया जाता है। इरकॉन कानपुर से लेकर फर्रुखाबाद तक ओएचई का मेंटीनेंस कर रही है। 
-संजीव कुमार, इलेक्ट्रिक इंजीनियर (रेलवे)

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