बिखराव की स्थिति
हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में कांग्रेस की हार के बाद भारतीय राष्ट्रीय विकासवादी समावेशी गठबंधन ( इंडिया) के भीतर घमासान मच गया है। फिलहाल 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए रणनीति तैयार करने के लिए इंडिया की बुधवार को होने वाली बैठक टल गई है।
चुनाव परिणामों में कांग्रेस को मिली हार के बाद गठबंधन के प्रमुख नेताओं ने बैठक से दूरी बनानी शुरू कर दी जिसे देखते हुए बैठक को स्थगित कर दिया गया। सीट बंटवारे से नाराज गठबंधन के प्रमुख दलों ने खुलेआम अपनी नाराजगी व्यक्त की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि चार राज्यों के चुनाव परिणामों के बाद देश की राजनीति में गर्मी आएगी। वास्तव में मध्य प्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में भाजपा की जीत ने कांग्रेस का मनोबल तो तोड़ा ही है। साथ ही गठबंधन में शामिल क्षेत्रीय दलों को भी सवाल उठाने का मौका दे दिया है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वे बुधवार को होने वाली गठबंधन की बैठक में शामिल नहीं हो पाएंगे। उधर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि अखिलेश यादव की बुधवार की बैठक में शामिल होने की कोई योजना नहीं है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व टीएमसी की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कहा कि उन्हें इस बैठक की कोई जानकारी नहीं और पहले से ही 6 दिसंबर के उनके कार्यक्रम निर्धारित हैं। ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि यदि चुनाव से पहले ढंग से सीटों का बंटवारा होता तो परिणाम कुछ और होते। इससे यह बात तो साफ नजर आ रही हैं कि टीएमसी चुनाव के दौरान सीटों का बंटवारा न होने से नाराज है।
दरअसल कांग्रेस इस बात को लेकर आशावान रही कि राज्यों में बेहतर प्रदर्शन करके वो घटक दलों पर दबाव बना लेगी। इसी गलतफहमी में कांग्रेस गठबंधन पर ध्यान देने के बजाय चुनाव प्रचार में जुटी रही। हालांकि अब कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि नतीजे निराशाजनक जरूर हैं लेकिन हम निराश नहीं हैं। हमारा वोट प्रतिशत बहुत कम नहीं है। यही नहीं पुराने आंकड़े देकर यह साबित करने की कोशिश की जा रही है कि लोकसभा चुनाव में परिणाम अलग आते रहे हैं। इस बार भी ऐसा हो सकता है।
शिवसेना (यूबीटी), जेडी(यू) और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने कहा है कि कांग्रेस को क्षेत्रीय सहयोगियों के प्रति अधिक अनुकूल होना चाहिए। फिलहाल कांग्रेस को अपनी हार व गठबंधन में शामिल दलों के टकराव व बिखराव पर आत्मचिंतन की जरूरत है।
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