भारत की सड़कों पर दौड़ेगी लिथियम-सल्फर बैटरी वाली कार, जानिए एक बार चार्ज करने पर चलेगी कितने किमी

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Published By Deepak Mishra
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वाराणसी। प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में भारत नित्य नई ऊंचाइयां छू रहा है। आईआईटी बीएचयू भी इसमें अपनी माहती भूमिका अदा कर रहा है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में चल रहे कॉन्फ्रेंस में आईआईटी-बॉम्बे से आए वैज्ञानिक प्रोफेसर सागर मित्रा ने बाते बताईं। दरअसल, BHU में सॉलिड स्टेट आपॅनिक्स पर 15वीं कॉन्फ्रेंस चल रही है। इसकी थीम 'ऊर्जा' है। 

कॉन्फ्रेंस के संयोजक बीएचयू के फिजिक्स डिपार्टमेंट के वैज्ञानिक प्रोफेसर राजेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि इसमें कुल 150 से ज्यादा वैज्ञानिकों ने हिस्सेदारी की है। "भारत में लिथियम सल्फर की ऐसी बैटरी तैयार हो रही है, जो एक बार चार्ज हो जाए, तो कार 1500 किलोमीटर का लंबा सफर तय करेगी। 

आजकल की बैटरी व्हीकल एक बार की चार्जिंग में अधिकतम 500 किलोमीटर तक ही जा सकती है। उसके बाद चार्जिंग स्टेशन खोजने पड़ते हैं। लिथियम सल्फर की बैटरी की साइज और वजन आजकल की इलेक्ट्रिक व्हीकल से 3 गुना कम होगा। डीजल-पेट्रोल कार की तरह से स्पीड भी सेम होगी।" 

अमेरिकी मिलिट्री में भी चल रही टेस्टिंग

प्रो. मित्रा ने कहा, "अगर सारी चीजें ठीक रहीं और इसके लिए फंड मिले, तो अगले 2 साल में भारत के पास इस बैटरी की कार होगी। हम लोगों ने लैब स्केल पर इसका टेस्ट कर लिया है। इसमें सफलता मिली है। ग्रेफाइट मेटल ऑक्साइड बैटरी को लिथियम सल्फर बैटरी से रिप्लेस कर दिया जाएगा।" 

इसकी पावर भी 3 गुना ज्यादा होगी और कम जगह में इंस्टॉल की जा सकेगी। अभी अमेरिकी मिलिट्री में इस तकनीक पर रिसर्च और ट्रायल चल रहा है। भारत भी उसी स्पीड से इस दिशा में काम कर रहा है। सरकार की ओर से फंड जारी होते ही लैब के इस काम को इंडस्ट्री लेवल पर उतारा जा सकेगा।"

डीजल-पेट्रोल वाली कर से भी स्पीड चलेगी लिथियम-सल्फर बैटरी की कार

IIT-बॉम्बे के वैज्ञानिक प्रो. मित्रा ने कहा, "लिथियम सल्फर बैटरी की कार में आप डीजल-पेट्रोल कार वाला आनंद उठा सकते हैं, वो भी बिना किसी तरह का प्रदूषण फैलाए। स्पीड के साथ ही यह बैटरी काफी किफायती भी होगी, क्योंकि भारत में लिथियम और सल्फर संसाधनों की कोई कमी नहीं है।" "इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि आजकल की जो बैटरी वाली कार है, वो 10 डिग्री सेल्सियस के कम तापमान पर नहीं चल सकती। उसको गर्म करना पड़ता है, जबकि इस बैटरी से आप 0 डिग्री या माइनस डिग्री तापमान में भी कार चला सकते हैं।"

5 बार चार्ज करने में ही पहुंच जाएंगे बनारस से लंदन 

फ्रांस की राजधानी पेरिस से आए प्रोफेसर रॉबर्ट स्लेड ने कहा, "जल्दी वो समय आएगा कि जब आप अपनी कार को 5 बार चार्ज करके बनारस से लंदन तक पहुंच सकते हैं। मगर बीच में 5 जगह चार्जिंग स्टेशन भी बनाने पड़ेंगे। लॉन्ग रेंज की बैटरी ट्रांसपोर्ट से भी आगे कई काम में आ सकती है। BHU सहित दुनिया के 6 विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक इस बैटरी पर रिसर्च कर रहे हैं। आजकल की बैटरी से लंबा सफर पॉसिबल नहीं है, क्योंकि उसके पार्ट्स जैसे सल्फ्यूरिक एसिड और मेटल्स काफी वजनी और ज्यादा जगह घेरते हैं।"

छोटी डिवाइस पर चल रही टेस्टिंग 

मित्रा ने कहा, "लैब स्केल पर स्मॉल डिवाइस लेवल पर टेस्टिंग चल रही है। प्रोटोटाइप भी बने हैं। ज्यादा से ज्यादा फंडिंग और इंडस्ट्रीज इनवॉल्वमेंट चाहिए। सब कुछ मिल गया, तो 2 साल में हम बैटरी को लॉन्च कर सकते हैं। ये कार में फिट हो गई, तो फिर डेढ़ हजार किलोमीटर के बीच में कार को किसी इलेक्ट्रिक चार्जिंग की जरूरत नहीं पड़ेगी। थर्मल मैनेजमेंट नहीं चाहिए। 10 डिग्री से कम तापमान में उसको गर्म नहीं करना पड़ेगा। कई फायदे हैं, जिसको लेकर हम लोग इंडस्ट्रीज से भी बातचीत कर रहे हैं।"

लिथियम और सल्फर का भरपूर भंडार

 लिथियम के भंडारण (Reserve) की बात करें, तो भारत लिथियम के मामले में बोलिविया और चीन के बाद तीसरे स्थान पर है। कश्मीर में अभी 6 मिलियन मीट्रिक टन का नया रिजर्व खोजा गया है। वहीं, आजकल जितनी भी बैटरी इस्तेमाल हो रही है, उनसे हमको भरपूर लिथियम मिल जाएगा। सल्फर पेट्रोल रिफायनरी का बाई प्रोडक्ट है। इसके साथ ही भारत में सल्फर के अकूत भंडार हैं, जिसकी खोजबीन जारी है। इस तरह से हमको लिथियम और सल्फर चीन, अमेरिका और जर्मनी से आयात करने जरूरत नहीं पड़ेगी और हैवी कॉस्ट कटिंग कर हम बैटरी बना सकते हैं। इसके साथ ही बैटरी के बड़े निर्यातक भी हो सकते हैं।

यहां समझे बैटरियों का पूरा मैकेनिज्म

• वर्तमान में मुख्य तौर पर 4 तरह की बैटरी का इस्तेमाल हो रहा है। लिथियम आयन बैटरी, निकल-मेटल हाईड्राइड बैटरी, लेड एसिड बैटरी और अल्ट्रा कैपेसिटर।

• कार और तमाम इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में लिथियम आयन बैटरी का इस्तेमाल होता है। इसमें लिथियम महज 3% ही है। बाकी में कोबाल्ट और निकल की मात्रा है। जबकि, लिथियम आयन बैटरी में 60% लिथियम और बाकी सल्फर होगा। इससे बैटरी का वजन और साइज दोनों छोटा हो जाएगा।

• लिथियम सल्फर नेक्स्ट जनरेशन बैटरी है। इसमें लिथियम एनोड है और सल्फर कैथोड है। अभी जो बैटरी चल रही है उसमें ग्रेफाइट एनोड है और मेटल ऑक्साइड कोबाल्ट, निकल, मैगनीज आदि कैथोड है। ग्रेफाइट की जगह पर लिथियम होगा और मेटल ऑक्साइड की जगह सल्फर होगा।

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